चाय और जूट उद्योग का संकट मजदूरों के िलए जानलेवा साबित हो रहा है. श्रमिकों की माली हालत खराब होती जा रही है. चाय उद्योग की हालत यह है िक भूख और बीमारी के चलते श्रमिक लगातार दम तोड़ रहे हैं. शनिवार को उत्तर बंगाल के डुवार्स स्थित बागराकोट चाय बागान के रिटायर्ड श्रमिक की भूख और खराब आर्थिक हालत के चलते इलाज न करा पाने के कारण मौत हो गयी, वहीं हाल में बंद उत्तर 24 परगना के हुकुमचंद जूट मिल के श्रमिक ने फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली. जानकारों के मुताबिक जल्द हालात सुधारने की कोशिश नहीं की गयी तो स्थिति और गंभीर हो जायेगी.
हुकुमचंद जूट मिल कर्मी ने लगायी फांसी
कोलकाता: नैहाटी थाना क्षेत्र अंतर्गत हाजीनगर में एक जूट मिल श्रमिक ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली . मृत श्रमिक का नाम बिश्वनाथ चौधरी (63) बताया गया है. वह हुकुमंचद जूट मिल के फिनिसिंग विभाग में काम करता था.
घटना शनिवार सुबह हाजीनगर स्थित छाई मैदान इलाके में घटी. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस ने मृतक के गले से गमछा बरामद किया है.
सूत्रों के अनुसार, बिश्वनाथ मिल से रिटायर हो चुका था. उसके बाद वह मिल में बदली मजदूर के रूप में काम करता था. आठ महीना पहले उसने बेटी की शादी की थी. िववाह के कुछ दिनों बाद बेटी की अचानक मौत हो गयी. उसके बाद से वह अवसादग्रस्त रहने लगा था. इस बीच श्रमिक अंसतोष के कारण मिल बंद हो गयी, जिससे उसकी माली हालत और खराब हो गयी. इस कारण वह आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर विवश हो गया. हुकुमचंद मजदूर एकता मंच के नेता अजय सिंह ने बताया कि बिश्वनाथ काफी वर्षों पहले ही मिल से रिटायर हो गया था. उसकी मौत का मिल बंद होने से कोई संबंध नहीं है. बैरकपुर कमिश्नरेट के डीसी डीडी अजय ठाकुर ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है.
चाय बागान के रिटायर्ड श्रमिक की मौत
सिलीगुड़ी: भूख और बीमारी से डुवार्स के चाय बागान में फिर मौत हुई है. जानकारी के अनुसार, शनिवार तड़के बागराकोट चाय बागान के टॉप लाइन में एक रिटायर्ड चाय श्रमिक की मौत हो गयी़ मृतक का नाम कालू तामांग (82) बताया गया है़ वह काफी दिनों से बीमार था़ प्रशासन का कहना है कि बुढ़ापे की वजह से श्रमिक की मौत हुई है़.
लेकिन मृतक श्रमिक के परिवार वाले यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं. परिवार वालों का आरोप है कि भूख और बीमारी की वजह से कालू की मौत हुई है़ वह काफी दिनों से बीमार था़ आर्थिक तंगी की वजह से उसकी चिकित्सा नहीं करायी जा सकी़ बागान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कालू को लीवर की बीमारी थी़ पैसे की कमी की वजह से परिवार वाले उसका इलाज नहीं करा पा रहे थे़.
दुर्गा पूजा के बाद उत्तर बंगाल विकास मंत्री इस चाय बागान के दौरे पर आये थे़ तब उन्होंने बीमार कालू से मुलाकात की थी और उसे माल महकमा अस्पताल में भरती कराया था़ परिवार वालों का कहना है कि कुछ दिन बाद ही डॉक्टरों ने उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी़ वह पूरी तरह से स्वस्थ भी नहीं हुआ था़ आखिकार शनिवार को तड़के उसकी मौत हो गयी़ परिवार वालों का कहना है कि उसी की कमाई से घर का खर्च चलता था़ नौकरी से अवकाश ग्रहण के बाद वह बीच-बीच में बीमार हो जाता था़ गरीबी और पैसे की कमी से इलाज करवाना संभव नहीं था़ बागान बंद होने के बाद से परिवार के अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी भी चली गयी़ गरीबी की वजह से दो वक्त का भोजन तक मिलना मुश्किल है़ बागान सूत्रों का कहना है कि दुर्गा पूजा से लेकर अबतक सात चाय श्रमिकों की मौत हो चुकी है,जबकि पिछले 9 महीने में करीब 26 चाय श्रमिक मारे जा चुके हैं.