कोलकाता: चिटफंड कंपनियां आम लोगों को लुभाने के लिए तरह-तरह की आकर्षक योजनाएं पेश करती हैं और आश्वासन देती हैं कि कम समय में जमाकर्ताओं को अधिक से अधिक रिटर्न दिया जायेगा. अधिक रिटर्न के लालच में आम लोग चिट फंड में निवेश करते हैं और अंतत: अपनी जमा पूंजी भी गवां देते हैं.
कई तरह के लुभावने ऑफर
विगत वर्षो में कई चिटफंड कंपनियां बाजार में आयीं. उन्होंने तरह-तरह की योजनाएं पेश कीं. इनमें पेड़ लगाना, होटल में निवेश व आलू खरीद जैसे कई निवेश विकल्प दिये. इन कंपनियों के प्रतिनिधि जमाकर्ताओं के घर तक पहुंचे और न्यूनतम 10 रुपये तक की राशि संग्रह की, जो सुविधाएं बैंक व डाक घर आदि में नहीं थीं. कंपनियों ने गरीब व कमजोर तबकों को अपना निशाना बनाया, जो न तो ज्यादा जागरूक थे और न ही शिक्षित.
कई कंपनियों पर कसी गयी नकेल
कंपनी मामलों के विशेषज्ञ पंकज सराफ ने कहा कि हाल में 10 अप्रैल, 2013 को भारतीय प्रतिभूमि एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बंगाल की कंपनी सुमंगल इंडस्ट्रीज की आलू खरीद योजना पर जनता से पैसा उगाहने पर रोक लगा दी थी. 15 दिनों में कंपनी से जवाब मांगा गया है. फ्लेक्सी पोटैटो पर्चेज स्कीम के तहत निवेशकों को आलू की खरीद के माध्यम से 20 से लेकर 100 फीसदी रिटर्न देने का वादा किया गया था.
आलू खरीद योजना के तहत भैरवी हिमघर प्राइवेट लिमिटेड या सुमंगल हिमघर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विशेष अवधि के लिए आलू बांड जारी किया जाता है. न्यूनतम 5000 रुपये पर 15 माह के बाद कम से कम 6000 रुपये तथा अधिकतम 10 हजार रुपये देने का वादा किया जाता है. 10 साल की अवधि में यह राशि न्यूनतम 32,500 रुपये तथा अधिकतम 25 गुणा 1,25,000 रुपये तथा 15 वर्ष की अवधि में कम से कम 85,000 तथा अधिकतम 50 गुणा 2,50,000 देने का वादा किया गया है.
कंपनियों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन
चिटफंड कंपनी सुराहा माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड (सन्मार्ग) लिमिटेड जमाकर्ताओं की राशि हड़पने के आरोप में महानगर में प्रदर्शन हो रहे हैं. इस कंपनी की योजना के अनुसार सर्वकल्याण योजना के तहत 1000 रुपये 200 माह के बाद 10 हजार रुपये तथा 10 हजार रुपये 200 माह के बाद एक लाख रुपये देने का वादा किया गया है. इसी तरह से कंपनी की अन्य योजनाएं भी हैं.
कंपनी की योजना के अनुसार प्रतिदिन 10 रुपये निवेश करने पर एक साल में 3650 रुपये जमा करने पर 4052 रुपये हो जायेगा. वहीं, चिट फंड कंपनी सारधा ग्रुप ने जमाकर्ताओं को कई लुभावनी योजना दिया है. योजना के तहत 12 से 60 माह तक प्रतिमाह 100 रुपये निवेश करने का प्रावधान था. जमाकर्ताओं को प्लॉट, फ्लैट या कैश ( 12 से 24 फीसदी) रिटर्न का आश्वासन दिया गया था. सारधा के पहले पश्चिम बंगाल में 80 के दशक में संचयिता इनवेस्टमेंट्स की घटना बहुतों को याद है. लगभग 120 करोड़ रुपये आम लोगों ने जमा किये थे, लेकिन बाद में वह कंपनी बंद हो गयी और लोगों का पैसा डूब गया.