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प्रमोटर पर जमीन दखल का आरोप
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट में बायोडीजल के लिए जैविक खेती के लिए ली गयी जमीन पर प्रमोटर द्वारा अवैध दखल किये जाने का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका दायर की गयी है.मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होने की उम्मीद है. जनहित याचिका दायर करनेवाली स्वयंसेवी संस्था के वकील उदयशंकर चटर्जी ने बताया कि आसनसोल […]
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट में बायोडीजल के लिए जैविक खेती के लिए ली गयी जमीन पर प्रमोटर द्वारा अवैध दखल किये जाने का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका दायर की गयी है.मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होने की उम्मीद है. जनहित याचिका दायर करनेवाली स्वयंसेवी संस्था के वकील उदयशंकर चटर्जी ने बताया कि आसनसोल बीबी कॉलेज को श्यामदीही मौजा में वर्ष 2004 में 100 एकड़ जमीन लीज पर दी गयी थी.
इस जमीन पर बायोडीजल उत्पादन के लिए खेती शुरू हुई. हालांकि कुछ प्रमोटरों ने यहां की करीब 50 फीसदी जमीन पर अवैध दखल ले लिया है और वहां प्रमोटिंग का काम शुरू किया है. इस संबंध में हाइकोर्ट के हस्तक्षेप की अपील की गयी है.
कोलकाता : वैज्ञानिक अगर अनाज के काबरेहाइड्रेट में बदलाव में सफल रहते हैं, तो वह दिन दूर नहीं, जब आप चावल-गेहूं का इस्तेमाल दवा के तौर पर भी कर सकेंगे. चावल, गेहूं, ज्वार व बाजरा जैसे साबुत अनाजों का आंशिक रूप से जैवसंवर्धन करके आइआइटी खड़गपुर के पांच शोधकर्ताओं का एक दल ‘न्यूट्रास्युटिकल्स’ विकसित करने में लगा है. यह अनाज का एक ऐसा जैव संवर्धित रूप होगा, जिसमें पोषण और फार्मास्युटिकल दवा दोनों के उत्कृष्ट गुण मौजूद होंगे.
अगले तीन साल में एक बार तैयार हो जाने पर, इन जैव संवर्धित अनाजों को ठीक उसी तरह खाया-पिया जा सकेगा, जैसे बिस्किट, चॉकलेट, कॉर्नफ्लेक्स खाये जाते हैं या स्वास्थ्यकारी पेय पीते हैं.
इन अनाजों को उपभोक्ता तक पहुंचाने से पहले लाभकारी जीवाणुओं और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मदद से बेहतर भी बनाया जायेगा.
‘भोज्य काबरेहाइड्रेट में जैव संवर्धन की मदद से कुछ बदलाव करके कम कीमतवाले लाभकारी न्यूट्रास्युटिकल बनाये जा सकते हैं. ये ज्यादा ऊर्जा पैदा करेंगे और बेहतर पोषण देंगे. ये पेट में लाभकारी जीवाणुओं की वृद्धि में मदद करेंगे, हानिकारक बैक्टीरिया को रोकेंगे और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायेंगे.
डॉ सत्यहरि डे, परियोजना के प्रमुख शोधकर्ता
कुछ बीमारियों का शुरुआती चरण में उपचार भी संभव
प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक न्यूट्रास्युटिकल अत्यधिक मधुमेह, आंतों से जुड़ी समस्या, मलाशय कैंसर जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के मामले में अच्छे निरोधक हैं.
एशियन फेडरेशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में उप महासचिव जैव तकनीकविद ने कहा, ‘ये कुछ बीमारियों का उनके शुरुआती चरणों में उपचार भी कर सकते हैं.’ महिलाओं और बच्चों में कुपोषण कई तरह से भोज्य काबरेहाइड्रेट के जमाव से जुड़ा होता है. यह एक ऐसी समस्या है, जिसे नयी पीढ़ी के भोजन की मदद से सुलझाया जा सकता है.
आइआइटी में चल रहा बिस्किट का परीक्षण
आइआइटी के परिसर में जैव संवर्धित अनाज से बने बिस्किट का परीक्षण चल रहा है. शोधकर्ताओं ने इस तरह के आंशिक रूप से जैव संवर्धित उत्पादों को खाने के किसी भी कुप्रभाव की आशंका से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘इनके प्रमुख तत्व अनाज की फसलों से लिये गये हैं. ये खाने लायक हैं और इनका इस्तेमाल आमतौर पर होता है. इसलिए इनका कोई गलत प्रभाव नहीं हो सकता.’
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