हम सोमवार (27 जुलाई) को फिर से इस पर सुनवाई करेंगे. ये जांच एजेंसी की ओर से सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि 971 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें से 464 मामले गैर सारधा चिटफंड कंपनियों से संबंधित हैं. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इस समय चिटफंड से संबंधित मुकदमे राज्य की विभिन्न अदालतों में फैले हुए हैं और सीबीआइ इनके लिए कोलकाता में तीन विशेष अदालतें चाहती है.
उन्होंने कहा कि सीबीआइ को इन मामलों की प्रभावी तरीके से जांच के लिए राज्य पुलिस से 10 पुलिस अधीक्षक सहित और पुलिस बल चाहिए. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन नागेश्वर राव ने कहा कि हालांकि राज्य पुलिस किसी भी चिटफंड मामले की जांच नहीं करना चाहती है,
न्यायालय ओड़िशा चिटफंड मामले में दायर कुछ अर्जियों पर भी उस दिन विचार के लिए राजी हो गया है. इससे पहले, न्यायालय ने सभी चिटफंड मामलों की जांच अपने हाथ में लेने के लिए मानवशक्ति की कमी की ओर सीबीआइ द्वारा ध्यान आकर्षित करने को गंभीरता से लिया. न्यायालय ने कहा कि हमारे पहले के आदेश के अनुसार सारे मामले सीबीआइ को हस्तांतरित किये गये हैं ओर अब आप हमारे आदेश में सुधार का अनुरोध किये बगैर सभी मामलों को अपने हाथ में लेने से इनकार नहीं कर सकते. हालांकि, पीठ ने बाद में स्पष्ट किया कि जांच ब्यूरो पहले के आदेश में संशोधन का अनुरोध कर सकती है.