कोलकाता. जो लोग अपने संपत्ति टैक्स से संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें अपनी बात रखने का कोलकाता नगर निगम एक मौका देगा. पर फिलहाल यह सुविधा सभी संपत्ति मालिकों को नहीं मिलेगी. संपत्ति टैक्स के विवाद से संबंधित 35 हजार से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हुए हैं. संपत्ति टैक्स के रूप में निगम का लगभग 2000 करोड़ रुपया बकाया है. 50 हजार से अधिक संपत्ति टैक्स बकायादारों की संख्या 35181, एक लाख से अधिक संपत्ति कर के बकायादारों की संख्या 14802 एवं पांच लाख से अधिक संपत्ति कर के बकायादारों की संख्या 2416 है. प्रत्येक वर्ष संपत्ति का मूल्यांकन होता है, उसके आधार पर ही निगम के अधिकारी किसी संपत्ति का टैक्स निर्धारण करते हैं, जो लोग टैक्स निर्धारण से संतुष्ट नहीं होते हैं, वह अदालतों का रुख करते हैं. ऐसे में निगम को भी राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ता है. मेयर शोभन चटर्जी के अनुसार जिन के ऊपर एक लाख से पांच लाख के बीच संपत्ति कर बाकी है, फिलहाल उन्हें ही निगम यह सुविधा प्रदान करेगा. संपत्ति कर के मूल्यांकन से जो लोग असंतुष्ट हैं और जिन्हें लगता है कि उनसे अधिक टैक्स लिया जा रहा है. वे लोग एक बार आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए निगम आयुक्त के नेतृत्व पर एक ट्रिब्यूनल बनाया जा रहा है. यह ट्रिब्यूनल आवेदन करने वालों के मामले की सुनवाई कर टैक्स निर्धारित करेगा. अगर संपत्ति मालिक इस सुनवाई से संतुष्ट हो जाता है तो उसी के अनुसार उसे टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा. मेयर ने बताया कि इस संबंध में विधानसभा में एक बिल पास हो चुका है. इसके अनुसार निगम को टैक्स फिर से निर्धारित करने का अधिकार है.
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संपत्ति कर से असंतुष्ट लोगों को एक मौका देगा निगम
कोलकाता. जो लोग अपने संपत्ति टैक्स से संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें अपनी बात रखने का कोलकाता नगर निगम एक मौका देगा. पर फिलहाल यह सुविधा सभी संपत्ति मालिकों को नहीं मिलेगी. संपत्ति टैक्स के विवाद से संबंधित 35 हजार से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हुए हैं. संपत्ति टैक्स के रूप में निगम […]
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