कोलकाता. भूमि अधिग्रहण विवाद के कारण सिंगुर से टाटा के विदा होने के बाद जहां राज्य के औद्योगिक विकास को भारी धक्का लगा है, वहीं अब यह मुद्दा बंगाल में इतना गहरा गया है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था के भी आड़े आने लगा है.
भारतीय जल सीमा की रक्षा के लिए सागर द्वीप में तैयार होने वाला नौसेना का प्रस्तावित कोस्ट बैटरी प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण विवाद के कारण तय समयसीमा से काफी विलंब हो चुका है.
इस परियोजना को 2014 में ही पूरा हो जाना था. नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया को संबोधित करते हुए नवल ऑफिसर-इन-चार्ज (पश्चिम बंगाल) कमोडोर रवी अहलुवालिया ने बताया कि कोस्ट बैटरी प्रोजेक्ट पटरी पर तो है, पर इस परियोजना के लिए आवश्यक जमीन का अभी तक अधिग्रहण नहीं हो पाया है. मत्स्य पालन, वन इत्यादि कई विभाग इसमें शामिल हैं, जो मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं. कमोडोर अहलुवालिया ने कहा कि राज्य सरकार ने जमीन देनी की सहमति दे दी है, पर विभिन्न विभागों से क्लियरेंस मिलने में समय लग रहा है. चूंकि यह वन भूमि है, इसलिए इसके हस्तानांतरण में समय लगता है.
भूमि आधारित नौसेना का कोस्ट बैटरी मुख्य रूप से युद्धपोतों एवं शत्रुतापूर्ण तरीके से आने वाले जहाजों के खिलाफ एक रक्षात्मक भूमिका निभाता है. नौसेना एंटि-शिप क्रुज मिसाइल तैनात करने पर भी विचार कर रहा है. कोस्ट बैटरी प्रोजेक्ट के लिए 12 एकड़ जमीनी चिंहित की गयी है. जहां इलाके से गुजरने वाले जहाजों पर नजर रखने के लिए रडार सर्विलेंस सिस्टम एवं ऑटोमेटिक आइडेनटिफिकेशन सिस्टम भी लगाया जायेगा. कमोडोर अहलुवालिया ने परियोजना के ठप्प होने की बात तो स्वीकार नहीं की, पर यह भी नहीं बताया कि यह कब से काम करना शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि परियोजना रद्द नहीं किया गया है, पर दुर्भाग्य से यह बताना मुश्किल है कि निर्माण काम कब से शुरू होगा और कोस्ट बैटरी कब से काम करना चालू कर देगा.