कोलकाता. डॉक्टरों ने आशंका जतायी है कि आनेवाले दिनों में कोरोनरी आरटरी डिजिज (सीएडी) भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी समस्या बनने जा रही है. अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ब्रिटिश कार्डियक रिसर्च ट्रस्ट के निदेशक डॉ अभिजीत लाहरी, अपोलोग्लेनिगल्स हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ रबीन चक्रवर्ती एवं विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ विकास मजूमदार ने बताया कि वैश्विक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, सीएडी से 1990 में विकासशिल देशों में नौ लाख से अधिक मौतें हुई थीं, जिनमें से अकेले भारत में सीएडी से मरनेवालों की संख्या 2.4 मिलियन थी. हार्ट अटैक से होनेवाली मृत्यु दर प्रति एक लाख पुरुषों में 141 एवं एक लाख महिलाओं में मृत्यु दर 136 थी, जो चीन एवं लैटिन अमेरिकी देशों से भी अधिक है. डायबिटीज भी भयानक रूप धारण करता जा रहा है. डॉ रबीन चक्रवर्ती ने कहा कि सीएडी को महामारी का रूप धारण करने से रोकने के लिए बचाव एवं शुरुआत में ही बीमारी के बारे में पता लगा लेना आवश्यक है. नये शोध से पता चला है कि स्टेटिन थैरेपी दिल की बीमारियों पर नियंत्रण पाने का एक सबसे नया व कारगर हथियार है. पांच वर्ष तक इस थैरेपी के नियमित इस्तेमाल से कार्डियोवास्कूर का खतरा हमेशा के लिए खत्म हो सकता है. डॉ अभिजीत लाहिरी ने कहा कि स्टेटिन थैरेपी डीयबीटीज रोगियों को भी काफी सहायता प्रदान करता है.
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स्टेटिन थैरेपी धमनी रोग के लिए कारगर
कोलकाता. डॉक्टरों ने आशंका जतायी है कि आनेवाले दिनों में कोरोनरी आरटरी डिजिज (सीएडी) भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी समस्या बनने जा रही है. अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ब्रिटिश कार्डियक रिसर्च ट्रस्ट के निदेशक डॉ अभिजीत लाहरी, अपोलोग्लेनिगल्स हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ रबीन चक्रवर्ती […]
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