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जेनरिक दवा नहीं लिखने पर खैर नहीं

कोलकाता: सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को दवाओं के जेनरिक नाम लिखने का निर्देश है. इसके बावजूद कुछ डॉक्टर दवाओं का जेनरिक विकल्प का उल्लेख नुस्खों पर नहीं कर रहे हैं. ऐसे डॉक्टरों पर राज्य सरकार ने लगाम कसने का मन बना लिया है. फार्माकोलॉजी विजिलेंस नामक छह सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया गया है. […]

कोलकाता: सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को दवाओं के जेनरिक नाम लिखने का निर्देश है. इसके बावजूद कुछ डॉक्टर दवाओं का जेनरिक विकल्प का उल्लेख नुस्खों पर नहीं कर रहे हैं. ऐसे डॉक्टरों पर राज्य सरकार ने लगाम कसने का मन बना लिया है.

फार्माकोलॉजी विजिलेंस नामक छह सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया गया है. इसका नेतृत्व फार्मासिस्ट सुर्पणा चटर्जी करेंगी. यह कमेटी पीजी के विभिन्न विभागों का दौरा कर डॉक्टरों द्वारा जारी दवा की परची की जांच करेगी. परची पर जेनरिक दवा का नाम नहीं लिखनेवाले डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

यह फैसला शुक्रवार को पीजी में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. इसमें पीजी के डायरेक्टर प्रदीप मित्र, राज्य के खेल व परिवहन मंत्री तथा रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन मदन मित्र, शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम, सुशांत बंद्योपाध्याय (डीएमइ), उच्च स्तरीय कार्यबल के चेयरमैन त्रिदीप बनर्जी, स्वास्थ्य सचिव सतीष तिवारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे. यह जानकारी अस्पताल के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ प्रदीप मित्र ने दी. राज्य के कमोबेश सभी मेडिकल कॉलेज व सरकारी अस्पतालों में फेयर प्राइस मेडिसिन शॉप खोले गये हैं, जहां आधे से भी कम कीमत पर जेनरिक दवाएं बेची जा रही हैं. इसके बावजूद अस्पताल के मरीजों को सरकार की इस किफायती सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

दवा दुकानों में सभी दवाओं का स्टॉक काफी कम है. इससे ज्यादातर मरीजों को फेयर प्राइस शॉप से बैरंग लौटना पड़ रहा है. इस स्थिति के मद्देनजर हाल में मुख्यमंत्री ने एसएसकेएम (पीजी) मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का दौरा भी किया ता. उन्होंने पीजी के फेयर प्राइस शॉप के मालिक को हफ्तेभर के अंदर दवा के स्टॉक को बढ़ाने का निर्देश भी दिया था. उक्त बैठक में अस्पताल के विकास के लिए कई अहम फैसले लिये गये हैं. इनमें अस्पताल में सीट बढ़ाने, इसके सौंदर्यीकरण के अधूरे कार्यो पर विशेष जोर दिया जायेगा.

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