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बिना चीर-फाड़ के नाक की सर्जरी संभव

कोलकाता : कान-नाक-गला (ईएनटी) सबंधित बीमारियों की सर्जरी पूरी तरह हाइटेक हो गयी है. अब तो बिना चीर-फाड़ के नाक की सर्जरी की-होल नैजल इंडोस्कोपिक तकनीक से की जा रही है. एसएसकेएम के पूर्व वरिष्ठ इएनटी सर्जन डॉ कुंतल माइती ने बताया कि आज से 15 -20 साल पहले इएनटी में सर्जरी के विकल्प काफी […]

कोलकाता : कान-नाक-गला (ईएनटी) सबंधित बीमारियों की सर्जरी पूरी तरह हाइटेक हो गयी है. अब तो बिना चीर-फाड़ के नाक की सर्जरी की-होल नैजल इंडोस्कोपिक तकनीक से की जा रही है. एसएसकेएम के पूर्व वरिष्ठ इएनटी सर्जन डॉ कुंतल माइती ने बताया कि आज से 15 -20 साल पहले इएनटी में सर्जरी के विकल्प काफी कम थे.

नाक में एलर्जी के कारण सर्दी खांसी, नाक से खून निकलना, नाक में ट्यूमर नैजल पॉलिप जैसी कई बीमारियों के इलाज के लिए पहले तकनीक का अभाव था. इस वजह से सर्जरी नहीं हो पाती थी, क्योंकि माइक्रो मशीन न हो पाने के कारण सर्जरी के परिणाम ठीक नहीं आते थे, लेकिन अब ‘की-होल नैजल इंडोस्कोपिक’ तकनीक की वजह से इलाज सरल व संभव है. इस नैजल इंडोस्कोपिक सर्जरी के लिए नाक को काटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. नाक के छेद में मशीन को घुसा कर ऑपरेशन किया जाता है. इससे नाक में होने वाले हर तरह के ट्यूमर को भी निकालना संभव है.

पहले इस सर्जरी पर लाखों रुपये का खर्च आता था. सर्जरी के बाद 15 दिनों तक मरीज को अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था. अब नैजल इंडोस्कोपी तकनीक की मदद से नाक के रास्ते सर्जरी कर दी जाती है. अब चार से पांच दिनों तक ही मरीज को अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है और मरीज को अन्य कोई परेशानी नहीं होती है.

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