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योग : विज्ञान व धर्म का मिलन

कोलकाता : योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के ब्रह्मचारी अच्युतानंद ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बिड़ला औद्योगिक एवं प्रौद्योगिक संग्रहालय में ‘योग: विज्ञान एवं धर्म का मिलन’ विषय पर सारगर्भित भाषण दिया. उन्होंने कहा कि साइंस लैटिन शब्द ‘साइंटिया’ से लिया गया है जिसका अर्थ है- नालेज यानी ज्ञान. वैज्ञानिक सर आर्थर स्टेनले […]

कोलकाता : योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के ब्रह्मचारी अच्युतानंद ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बिड़ला औद्योगिक एवं प्रौद्योगिक संग्रहालय में ‘योग: विज्ञान एवं धर्म का मिलन’ विषय पर सारगर्भित भाषण दिया. उन्होंने कहा कि साइंस लैटिन शब्द ‘साइंटिया’ से लिया गया है जिसका अर्थ है- नालेज यानी ज्ञान. वैज्ञानिक सर आर्थर स्टेनले एडिंगटन ने अपनी पुस्तक ‘द नेचर आफ फिजिकल वर्ल्ड’ में कहा है कि संसार मनुष्य के दिमाग की उपज है (दि स्टफ आफ दि वर्ल्ड इज माइंड स्टफ).
विज्ञान कहता है कि 99.99 प्रतिशत मानव शरीर रिक्त स्थान या खाली जगह है. क्योंकि शरीर की कोशिकाएं अणु (एटम) से बनी हैं और अणु 99.99 प्रतिशत इंप्टी स्पेस या रिक्त स्थान है, तो यह शरीर ऊर्जा का समुच्चय है. यदि ऊर्जा के प्रवाह को स्थिर कर दिया जाये तो यह शरीर अदृश्य हो जायेगा, जिस शरीर के प्रति हमारी इतनी आसक्ति है, उसकी वास्तविकता यही है, लेकिन हमें इसे स्वस्थ रखना है. अब तो विज्ञान भी कहने लगा है कि टाइम और स्पेस यानी समय और काल के परे भी कुछ है. हमारे ऋषि- मुनियों ने यह बात बहुत पहले ही कह दी है. हमारे गुरुदेव परमहंस योगानंद ने इसे गहराई से समझाया है. पहले साइंस इंद्रियों से परे नहीं जाता था. लेकिन जब आइंस्टाइन ने यूनिफाइड फिल्ड थियरी प्रस्तुत की तो सारे वैज्ञानिकों ने इस पर गौर किया.
आज इस पर गंभीरता से काम हो रहा है. इस पर वैज्ञानिक नासिम हाइमेन इन दिनों गंभीरता से काम कर रहे हैं. आइंस्टाइन ने कहा है कि सारा ब्रह्मांड एक केंद्र पर यूनिफाइड है. यह हमारे ऋषियों ने हजारों साल पहले कह दिया है. यह ऐसा बिंदु है जहां योग और विज्ञान का मिलन हो जाता है. अब तो वैज्ञानिक यह भी मान रहे हैं कि मनुष्य के शरीर के जीन सक्रिय और निष्क्रिय किए जा सकते हैं. इसे एपीजेनिटिक्स कहा जा रहा है. ब्रह्मचारी अच्युतानंद ने कठोपनिषद और अन्य धर्मग्रंथों के श्लोकों और वैज्ञानिक शोधों को मिला कर यह सिद्ध किया कि योग शत- प्रतिशत विज्ञान है और इससे शरीर, मन और आत्मा को लाभ पहुंचता है. मनुष्य योग के माध्यम से तमाम तरह के शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक रोगों से मुक्त होता है.

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