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हिंदू धर्म की उदारता ने धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया : हुसैन

कट्टरपंथियों के दबाव में आकर दामाद ने दे दिया बेटी को तलाक धर्म परिवर्तन करने के बाद से बेटा गायब है कोलकाता : हिंदू धर्म उदार है और इसकी उदारता ने ही मुझे और मेरे परिवार के सभी सदस्यों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया. जब हमलोग कानूनी प्रक्रिया को अपनाते हुए धर्म परिवर्तन […]

कट्टरपंथियों के दबाव में आकर दामाद ने दे दिया बेटी को तलाक

धर्म परिवर्तन करने के बाद से बेटा गायब है
कोलकाता : हिंदू धर्म उदार है और इसकी उदारता ने ही मुझे और मेरे परिवार के सभी सदस्यों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया. जब हमलोग कानूनी प्रक्रिया को अपनाते हुए धर्म परिवर्तन कर लिये तो कट्टरपंथियों के दबाव में उनके दामाद ने उनकी बेटी को तलाक दे दिया. सिर्फ इतना ही नहीं मेरा बेटा अब्दुल कादिर अभी कहां है हमें पता नहीं. हम चाहते हैं कि वह जहां भी है जल्द हमलोगों के पास आये. डर है कि कहीं वह कट्टरपंथियों की हिंसा का शिकार तो नहीं बन गया. यह बात कोलकाता में अपने करीबी लोगों के बीच हुसैन अली ने प्रभात खबर से कही.
उन्होंने कहा कि वह लोग असम के रहनेवाले हैं. उनका गांव मुस्लिम बहुल हैं. उन्होंने संध्या रानी दत्ता से प्रेम विवाह किया तो वह अपने प्रेम के लिए अपना धर्म बदल कर मोइना बीबी बन गयी, लेकिन उनके मजहब के लोग उसे स्वीकार नहीं किये.
इधर इस्लामी परंपरा का निर्वाह और गांव के लोगों के दकियानूसी विचार उनको खलने लगी. इधर बीबी से जब हिंदू धर्म के बारे में गहरायी से पता लगा तो वह और उनका परिवार हिंदू धर्म के प्रति आकर्षित होने लगा. इस बीच वह हिंदू संहति के एक कार्यकर्ता के संपर्क में आये तो वह धर्म की गहरायी में गये. तब जाकर उन लोगों ने पत्र देकर धर्म परिवर्तन की इच्छा जतायी, जिसके आधार पर कोलकाता में पांच फरवरी को कानूनी प्रक्रिया के तहत उनका धर्म परिवर्तन हुआ.
पूरा परिवार हिंदू संहति की सभा में धर्मतल्ला पहुंचा उस वक्त इतनी भीड़ थी कि बच्चे परेशान हो गये, तभी पत्रकारों का हुजूम उमड़ पड़ा. मैं बार बार कहता रहा कि थोड़ा मौका दीजिये मैं आप सभी से बात करूंगा और आपके सवालों का जबाब दूंगा, लेकिन कोई सुना नहीं और हंगामा शुरू हो गया.
हुसैन अली ने कहा कि वह और उसके परिवार ने स्वेच्छा से इस्लाम छोड़ा है. इसका मतलब यह नहीं है कि उससे मेरी नफरत है, लेकिन हिंदू धर्म की उदारता ने हमें प्रभावित किया है. लिहाजा ना तो किसी दबाव में और न ही किसी लालच में धर्म परिवर्तन हुआ है. असम में वह लोग बंटाई पर खेती करते थे. मुझे किसी से कुछ लेना नहीं है. बस सम्मान के साथ जीना है. कानूनी रूप से हिंदू तो बन गया हूं, लेकिन अभी धार्मिक कर्मकांड बाकी है. जल्द ही आर्य समाज अथवा भारत सेवा संघ के तत्वावधान में शुद्धीकरण कार्यक्रम कर धार्मिक रूप से हिंदू बनूंगा. अब गांव जाने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि वहां पर मुझे और मेरे परिवार को खतरा है. लिहाजा कोलकाता में ही कहीं रहूंगा और मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चे का पेट पाल लूंगा.

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