कोलकाता : वायु प्रदूषण के मामले में कोलकाता जैसे आगे की ओर बढ़ता ही जा रहा है. रविवार को कोलकाता ने सारी हदें पार कर दीं. नयी दिल्ली समेत अन्य महानगर व बड़े शहरों की तुलना में कोलकाता में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा दर्ज किया गया.
यह बात यूएस कौंसुलेट द्वारा देश के महानगरों और विभिन्न बड़े शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर मापने के दौरान पता चली है. रविवार को कोलकाता के वातावरण में पॉल्यूशन के सबसे सूक्ष्म कण यानि पीएम -2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. पीएम-2.5 हवा में घुलने वाला ऐसा सूक्ष्म कण है. सांस के माध्यम से यह हमारे में शरीर में प्रवेश कर कई गंभीर बीमारी का कारण बनता है. इसके प्रभाव से फेफड़े के विभिन्न विकारों से ग्रसित होने के अलावालोग कैंसर की चपेट में भी आ सकते हैं.
अपराह्न 12 बजे सबसे बुरा हाल :
रात से ही महानगर में कुहाशा छाया था. असल में कुहाशे की नमी की जगह वायु में पॉल्यूशन के सबसे सूक्ष्म कण की मात्रा ज्यादा रही. गत कुछ सप्ताह में कई दफा कोलकाता में पीएम-2.5 की मात्रा अन्य महानगरों की तुलना मेें बढ़ी है.
यूएस कौंसुलेट की रिपोर्ट के अनुसार द्वारा रविवार को वायु प्रदूषण के स्तर मापने के दौरान पता चला है कि मध्यरात्रि 12 बजे (12am) से शाम चार बजे तक की स्थिति बुरी रही. पीएम-2.5 के स्तर में सबसे ज्यादा इजाफा रविवार को अपराह्न 12 बजे रहा. इस समय कोलकाता में वायु में धूलकण का परिमाण सबसे ज्यादा बढ़कर प्रति घनमीटर 448 माइक्रोग्राम रहा. जबकि इस अंतराल में नयी दिल्ली के वातावरण में धूलकण का परिमाण प्रति घनमीटर 223 माइक्रोग्राम, मुंबई में प्रति घन मीटर 241 माइक्रोग्राम, हैदराबाजाद में प्रति घन मीटर 183 माइक्रोग्राम और चेन्नई में प्रति घन मीटर 163 माइक्रोग्राम रहा. शाम पांच बजे कोलकाता में पीएम-2.5 का स्तर घटकर प्रति घन मीटर 283 माइक्रोग्राम पहुंच गया.
ध्यान रहे कि पीएम 2.5 का स्तर 0-50 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर (एमजीसीएम) अच्छा व सामान्य माना जाता है. यह स्तर 51-100 एमजीसीएम मध्यम माना जाता है लेकिन इसके बाद पीएम-2.5 का स्तर बढ़ने पर यह अस्वास्थ्यकर माना जाता है. पीएम 2.5 का स्तर यदि 301-500 एमजीसीएम हो तो यह बेहद खतरनाक माना जाता है, जो रविवार कोलकाता का रहा.