सभा में वक्ताओं ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति की ऐसी घोषणा यूएन के उस अंतरराष्ट्रीय कथनी के खिलाफ है, जिसमें यह माना जा चुका है कि वर्ष 1967 में इजराइल ने पूर्वी यरुशलेम कब्जा कर लिया था. अमेरिका अवैध रूप से इजराइल कब्जा किये जाने वाले हिस्से को वैध बता रहा है.
यरूशलेम को इजराइल के रूप में मान्यता देकर अमेरिका वहां शांति नहीं कायम कर सकता है बल्कि उसके इस कदम से खाड़ी देशों में तनाव बढ़ा रहा है. सभा में मांग की गयी है कि भारत सरकार उपरोक्त मसले पर अपना स्टैंड रखे. खाड़ी देशों में शांति के लिए भारत को पहल करने की मांग की गयी है.