कोलकाता: कचरे से जिंदगी की गाड़ी चलानेवाले लोगों की जिंदगी पर बन आयी है. वजह है कोलकाता नगर निगम की ओर से जगह-जगह लगायी वेस्ट कमपैक्टर मशीन और जीएसटी के साथ हाल ही में हुई नोटबंदी. इन तीन कारणों की वजह से इनका जीना मुहाल हो गया है. लिहाजा अपनी समस्या से राज्य सरकार को वाकिफ कराने के लिए इन लोगों ने महानगर की लेनिन मूर्ति के पास सभा की और एसोसिएशन आॅफ रैग पिकर की ओर से सामाजिक सुरक्षा और महिला व बाल मंत्रालय की मंत्री शशि पांजा को ज्ञापन देकर उनका ध्यान आकर्षित किया.
मंत्री को दिये गये ज्ञापन में मांग की गयी कि रेलवे लाइन के किनारे, पुल के नीचे और नालों के किनारे रहनेवाले कचरा बटोरनेवालों का स्थाई ठिकाना घोषित किया जाये. इसके अलावा उन्हें मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, बीपीएल कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र मुहैय्या कराया जाये. कोलकाता नगर निगम की ओर से उन्हें पहचान पत्र दिलाने के साथ लोगों के घरों से पानी की बोतलें, सेनिटेशन और घरों का कचरा लेने की इजाजत देने के साथ निगम के वेस्ट कमपैर्क्टस से कचरा बटोरने का इजाजत देने की मांग किया गया .
एसोसियेशन की ओर से अध्यक्ष मोइदूल ने बताया कि कोलकाता शहर के विभिन्न इलाकों में तकरीबन 50 हजार लोग इस धंधे से जुड़े हुए हैं. नोटबंदी के समय उनको काफी दिक्कत हुई थी. तब रोज कमाने रोज खानेवाले इस वर्ग के सामने भुखमरी की नौबत आ गयी थी. लेकिन जीएसटी की वजह से उनकी कमर ही टूट गयी. पहले जो दर कचरों का उन्हें मिलता था, वह सीधे आधे से भी कम हो गया. रही सही कसर वेस्ट कंपैकटर्स मशीन ने पूरी कर दिया. जो कचरा वह कूड़े दानों से बटोरकर दो पैसा कमाते थे वह बंद हो गयी. ऐसे में उनके सामने भुखमरी की नौबत आ गयी है. लिहाजा सरकार को चाहिये कि वह उनकी समस्याओं का निदान करे.