कोलकाता: कोलकाता नगर निगम में स्वास्थ्य विभाग के मेयर परिषद सदस्य ने खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए नया कानून बनाया था. इसके अनुसार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) से फूड लाइसेंस प्राप्त नहीं करने की स्थिति में महानगर के किसी खाद्य विक्रेता या व्यवसायी को ट्रेड लाइसेंस नहीं मिलेगा.
लेकिन लोग फूड लाइंसेस नहीं ले रहे हैं. इस कारण उन्हें ट्रेड लाइसेंस भी नहीं मिल रहा है. इससे निगम लाइसेंस विभाग को नुकसान सहना पड़ रहा है. इसके मद्देनजर निगम अपने कानून में बदलाव करने जा रहा है. निगम के मासिक अधिवेशन में नया कानून पास कराया जायेगा. नये नियम के अनुसार फूड लाइसेंस नहीं रहने पर ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होगी.
जानकारों का मानना है कि नये कानून के लागू होने से निगम के स्वास्थ्य विभाग को झटका लग सकता है. क्योंकि खाद पदर्थों की गुणवत्ता बनाये रखने लिए निगम द्वारा अभियान चला कर मिलावटी खाद्य पदार्थों को नष्ट कर दिया गया था. अब इस कानून के लागू होने से निगम को दोबारा ऐसा अभियान चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. मेयर परिषद सदस्य (स्वास्थ्य) अतिन घोष ने बताया कि कानून के लागू होने से हमें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. फिलहाल ऑनलाइन के जरिए भी फूड लाइसेंस का नवीनीकरण व नया जारी किया जा रहा है. फूड लाइसेंस को प्राप्त करने के लिए विक्रेताओं को जागरूक किया गया है. उन्हें यह समझाया गया है कि फूड लाइसेेंस क्यों जरूरी है. इसलिए अब बाध्यता मूलक नहीं. विक्रेताओं को यह अवगत करा दिया जायेगा कि की ट्रेड लाइसेंस लेनेवालों को अगले तीन से चार महीने के भीतर फूड लाइसेंस बनवाना होगा. इस लाइसेंस के नहीं होने पर ट्रेड लाइसेंस नवीनीकरण नहीं किया जायेगा. उधर, निगम अधिवेशन में पेश किये जाने वाली एेजेंडा कॉपी में इसका उल्लेख नहीं है.