संविधान के मुताबिक उसके बाद उनके बारे में फैसला लिया जायेगा. इस पर भी मुकुल खेमे की तरफ से आपत्ति जतायी गयी, क्योंकि भाजपा के संविधान के अनुसार जो मांग हो रही थी, उससे मुकुल राय को अपना कद छोटा होने की आशंका थी, क्योंकि तब उनको अपने निवास स्थान के पते से भाजपा के पास आवेदन करना होता. आवेदन के बाद भाजपा के फॉर्म-ए को भरना पड़ेगा, जिसे स्थानीय भाजपा मंडल अध्यक्ष मंजूरी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पास भेजेगा, तब जाकर प्रदेश अध्यक्ष उनको भाजपा में शामिल कराने की औपचारिकता पूरा करेंगे.
ऐसा होने पर लोगों के बीच सीधा संदेश यही जाता कि मुकुल राय दिलीप घोष के नीचे हैं, जबकि मुकुल राय चाहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व की पहल पर वह भाजपा में शामिल हो. अब जब कैलाश विजयवर्गीय और राहुल सिन्हा की तरफ से साफ कर दिया गया है कि मुकुल राय को लेकर सस्पेंस कुछ दिन में ही खत्म हो जायेगा. यानि नवंबर के पहले हफ्ते तक यह कार्रवाई पूरी हो जायेगी. तब यह सवाल उठने लगा है कि मुकुल के साथ कितने लोग आयेंगे? जो इनको इतनी तवज्जो दिया जा रहा है. इसका जबाब भी मुकुल खेमे से दिया जा रहा है.
इनके मुताबिक अभी दादा भाजपा में जायेंगे और अपनी पकड़ पार्टी पर मजबूत करेंगे. इसके बाद पंचायत चुनाव के समय जब पूरा प्रशासन चुनाव आयोग के अधीन होगा उस वक्त उनके समर्थक और तृणमूल कांग्रेस से नाराज लोग थोक के भाव से भाजपा में आयेंगे. अभी नहीं आने के पीछे उनका तर्क है कि जो भी मुकुल समर्थक थोड़ा भी हरकत में आये उनको पुलिस झमेले में फंसा दिया जा रहा है. ऐसे में फिलहाल मुकुल राय के भाजपा में जाने व हरकत में आने की घटना को तवज्जो दिया जा रहा है. लेकिन ना तो अभी उनके भाजपा की सदस्यता लेने की तिथि की घोषणा हो रही है और न ही सस्पेंस खत्म हो रहा है.