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जूट उद्योग के विकास के लिए श्वेतपत्र का प्रस्ताव

कोलकाता. खस्ताहाल जूट उद्योग के लिए राज्य सरकार दीर्घकालिक हल तलाश रही है. सरकार लाखों लोगों को आजीविका मुहैया करा रहे इस उद्योग के लिए श्वेतपत्र लाने की तैयारी में है. राज्य सरकार ने तात्कालिक राहत के तौर पर जूट की मांग बढ़ाने के लिए केंद्र के बदले स्वयं जूट के थैलों को खरीदने का […]

कोलकाता. खस्ताहाल जूट उद्योग के लिए राज्य सरकार दीर्घकालिक हल तलाश रही है. सरकार लाखों लोगों को आजीविका मुहैया करा रहे इस उद्योग के लिए श्वेतपत्र लाने की तैयारी में है. राज्य सरकार ने तात्कालिक राहत के तौर पर जूट की मांग बढ़ाने के लिए केंद्र के बदले स्वयं जूट के थैलों को खरीदने का प्रस्ताव दिया है.

कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव चोपड़ा ने इस मुद्दे पर राज्य सचिवालय में हाल ही में हुई बैठक में सुझाव दिया कि सभी प्रमुख संबंधित पक्षों से जानकारियां जमा कर श्वेतपत्र तैयार किया जा सकता है. बैठक में मौजूद एक सूत्र ने बताया कि श्वेतपत्र के एक बार तैयार हो जाने पर इसे मंत्रियों के समूह के सामने रखा जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मौजूदा खरीफ सत्र में 300-325 करोड़ की लागत से जूट के थैलों के 1.2 लाख गठरियों की खरीद करेगी, जिसे बाद में केंद्र को बेचा जायेगा.

बैठक में इस बात का संज्ञान लिया गया कि जूट की टीडी6 किस्म का आधिक्य हो चुका है और इस कारण किसान इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे 700 रपये में ही बेचने को मजबूर हैं. भारतीय जूट मिल संगठन के एक पूर्व चेयरमैन ने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम अपर्याप्त है और इससे सिर्फ फौरी राहत मिलेगी. सबसे मुख्य दिक्कत यह है कि टीडी6 किस्म का इस्तेमाल 580 ग्राम के थैले बनाने में नहीं किया जा सकता है. बैठक के दौरान भारतीय जूट निगम ने अधिकारियों को सूचित किया कि वे कच्चे पदार्थों की खरीद में पैसों की कमी का सामना कर रहे हैं. निगम के पास 171 प्रत्यक्ष खरीद केंद्र हैं जिनमें 27 पश्चिम बंगाल में ही हैं. इसने न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर महज 65 हजार गठरियों की खरीद की हैं. हालांकि राज्य में मौजूदा खरीफ सत्र में 65 लाख गठरियों का उत्पादन हुआ है.

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