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नतीजे से भाजपा के खेमे में उत्साह

कोलकाता: सात नगर निकाय चुनावों में भले ही सम्मानजनक जीत हासिल नहीं हो पायी हो, लेकिन वोटों का जो प्रतिशत मिला है, उससे भाजपा उत्साहित है. उसके उत्साह की झलक खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से मिलती है. उनके मुताबिक ममता बंद्योपाध्याय समेत तृणमूल कांग्रेस के सभी छोटे-बड़े नेता यही कहते […]

कोलकाता: सात नगर निकाय चुनावों में भले ही सम्मानजनक जीत हासिल नहीं हो पायी हो, लेकिन वोटों का जो प्रतिशत मिला है, उससे भाजपा उत्साहित है. उसके उत्साह की झलक खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से मिलती है.
उनके मुताबिक ममता बंद्योपाध्याय समेत तृणमूल कांग्रेस के सभी छोटे-बड़े नेता यही कहते हैं कि उनका एकमात्र दुश्मन भाजपा है जिसे जनता ने प्रमाणित कर दिया. तमाम हथकंडे और वोट लूट के बावजूद जिस तरह लोगों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया, वह काबिले तारीफ है. लोग अब यह मानने लगे हैं कि तृणमूल कांग्रेस को कोई टक्कर दे सकता है, तो वह एकमात्र भाजपा ही है. बंगाल को तृणमूल कांग्रेस से सिर्फ भाजपा ही मुक्ति दिला सकती है. इसलिए हल्दिया और पांसकुड़ा जैसे जगहों पर जहां चुनाव के नाम पर तमाशा हुआ है, वहां भी जहां-जहां हम उम्मीदवार दे पाये हैं, वहां लोगों को भरपूर समर्थन मिला. उसे देखते हुए यह साफ कहा जा सकता है कि लोगों का भरोसा अब कांग्रेस और वामपंथियों से उठ चुका है. उनकी जगह भाजपा ने ले ली है.
गठबंधन की राजनीति पर चर्चा करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों का अस्तित्व संकट में आता है, वही लोग गठबंधन की राजनीति करते हैं. बंगाल में कांग्रेस और वाममोर्चा एकसाथ चुनाव में उतरे, क्योंकि यहां उनका अस्तित्व संकट में है. दिल्ली में ममता बनर्जी सबको लेकर गठबंधन कर रही हैं, क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति में उनका अस्तित्व संकट में पड़ता दिख रहा है. दिलीप घोष के मुताबिक आमलोग गठबंधन कर रहे हैं. वे भाजपा के पक्ष में लामबंद हो रहे हैं, यही असली गठबंधन है.

वर्ष 2011 में आमलोगों के गठबंधन ने ही वोट दिया था. वह हालात फिर बन रहे हैं. स्थिति यह है कि पंचायत चुनाव आते-आते हमलोग तृणमूल कांग्रेस की कमर तोड़ देंगे. दलबदल की संभावना को हवा देते हुए उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के पहले छोटे-बड़े कई नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं. आम कार्यकर्ता तो बहुत पहले से ही मन बना चुके हैं. वे तृणमूल कांग्रेस के कुशासन से उब कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं. लिहाजा पंचायत चुनाव के 77 हजार बूथों पर तृणमूल कब्जा नहीं कर पायेगी. तब उसे हकीकत का पता चलेगा.

बुद्धिजीवियों पर बरसे दिलीप घोष
कोलकाता. एक बार फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बुद्धजीवियों को आड़े हाथों लिया. आईसीसीआर में ‘गणतंत्र बचाओ, बंगाल बचाओ’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी परिवर्तन नहीं कर सकते, वे केवल परिवर्तन का सहयोगी बन सकते हैं, लेकिन बंगाल के बुद्धिजीवियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे अपने स्वार्थ के लिए रातों रात परिवर्तित हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि इस प्रदेश में एक बार फिर 1946 और 47 का माहौल बन रहा है. धूलागढ़, बशीरहाट, कालियाचक में बहुसंख्यकों पर हमला हो रहा है. आर्य जाति भारत छोड़ो और बंगाल की मुख्यमंत्री के नाम पर जयकारा लग रहा है. प्रदेश की हालत बहुत गंभीर है, लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग खामोश है, क्योंकि यह वर्ग अपनी बुद्धि का इस्तेमाल जीविका के लिए और आम लोगों को भ्रमित करने के लिए करते हैं. उनकी आंखों के सामने ममता बनर्जी तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं फिर भी वे खामोश हैं. यहां लगातार लोग हिंसा में मर रहे हैं, लेकिन कोई बुद्धिजीवी अभी तक अपना पुरस्कार नहीं लौटाया.

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