जेइइ के छात्रों का मेरिट के आधार पर काउंसेलिंग के बाद दाखिला होगा. काउंसिल ने निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में लगभग 24 कोर्स हटा दिये हैं. उपलब्ध डाटा के अनुसार 2014 में लगभग 42,000 सीटें थीं लेकिन अभी वर्तमान में केवल 33,124 सीटें ही रह गयी हैं. एआइसीटीइ के एक सदस्य ने बताया कि सरकारी इंजीनियरिंग व राज्य द्वारा चल रहे विश्वविद्यालयों में उतनी ही सीटें हैं. निजी कॉलेजों में सब्जेक्ट वाइज सीटें कम कर दी गयी हैं.
मार्केट की मांग के अनुसार निजी कॉलेजों में जिस स्ट्रीम की मांग कम होती है, कॉलेज प्रशासन द्वारा उसको हटा दिया जाता है. पहले स्ट्रीम हटाने के लिए कड़े नियम बनाये गये थे लेकिन अब एआइसीटीइ ने कॉलेजों को यह अनुमति दी है कि वे अपनी पसंद के हिसाब से कोर्स रख सकते हैं.
निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों का कामकाज प्लेसमेंट पर निर्भर हैं. कई निजी कॉलेज छात्रों को अच्छा प्लेसमेंट भी देते हैं. पिछले दो सालों से स्थिति काफी बदल गयी है. कई कॉलेजों में अभी वैसी ही सीटें बनी हुई हैं. डबल्यूबीजेइइ के पूर्व अध्यक्ष सजल दासगुप्ता ने कहा कि आइटी व कम्प्यूटर साइंस जैसे विषयों की मांग मार्केट में हमेशा बनी रहती है. इन स्ट्रीम में अभी सीटें भी बढ़ गयी हैं. छात्रों के लिए इसमें कई विकल्प हैं. इन विषयों में सीटें बढ़ भी रही हैं. मेधा के आधार पर छात्र कॉलेज का चयन कर सकते हैं.