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टूटते संयुक्त परिवार के कारण अकेले पड़ रहे बुजुर्ग

आसनसोल एकता मंच के सेमिनार में पश्चिमी संस्कृति पर करारा चोट खुर्शिद गनी की लिखी पुस्तक नक्शे खुर्शीद का लोकार्पण आसनसोल. आसनसोल नगर निगम के एक्सक्यूटिव हॉल में आसनसोल एकता मंच द्वारा आयोजित सेमिनार बुजुर्ग और अकेलापन में बदलते भारतीय समाज में टूटते संयुक्त परिवारों में वृद्धों की दयनीय मानसिक स्थिति को चित्रित किया गया. […]

आसनसोल एकता मंच के सेमिनार में पश्चिमी संस्कृति पर करारा चोट

खुर्शिद गनी की लिखी पुस्तक नक्शे खुर्शीद का लोकार्पण

आसनसोल. आसनसोल नगर निगम के एक्सक्यूटिव हॉल में आसनसोल एकता मंच द्वारा आयोजित सेमिनार बुजुर्ग और अकेलापन में बदलते भारतीय समाज में टूटते संयुक्त परिवारों में वृद्धों की दयनीय मानसिक स्थिति को चित्रित किया गया.

वरिष्ठ लेखक सैयद अंजूम रोमन ने कहा कि विज्ञान और तकनीक की उन्नति के परिणामस्वरूप जहां भौगोलिक दूरियां मिट रही हैं. पारिवारिक सदस्यों के बीच दूरियां बढती ही जा रही हैं. एक ही छत के नीचे सदस्यों के बीच एक दूसरे को देने के लिए समय नहीं है.

फेसबुक और व्हासएप्प के बढते चलन ने जहां धरातली दूरियों को मिटाया है वहीं यह परिवारिक सभ्यता संस्कृति, इंसानी संवेदनाओं को भी मिटाया है. फेसबुक और व्हाटसएप्प में खोयी युवा पीढी जहां लाखों किलोमिटर दूर बैठे लोगों से नजदीकियां बढा रही हैं. वहीं वे इस व्यस्तता में अपने माता पिता, दादा दादी के बीच रिश्तों की दूरियां बढाते जा रहे हैं. व्यवहार और संस्कार सिर्फ औपचारिकता मात्र बन कर रह गये हैं. वर्तमान समाज में तेजी से बदलते भारतीय पारिवारिक समिकरणों के बिच अकेले पडते घर के बुजुर्ग की व्यथा कथा को बडे ही मार्मिक ढंग से चित्रित करते हुए कहा कि जो मां बाप बचपन में बडे तकलीफ से बच्चों को बडा करते हैं. वहीं बच्चे बडे होकर मां बाप को वृद्धावस्था के दौर में ऐसे समय में अकेला छोड देते हैं जब उन्हें अपने बच्चों के साथ और सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. कोलकाता जैसे महानगरों में तेजी से बढते अनाथालयों और वृद्धाश्रमों की संख्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि विदेशों की देखा देखी देश में वृद्धालयों का चलन बढ़ रहा है. इसके लिए जिम्मेवार युवाओं को अपनी सोच बदलनी होगी. अवसर पर खुर्शिद गनी के लिखे गये पुस्तक नख्शे खुर्शीद का अनावरण किया गया. 1947 के दौर में स्वाधिनता संग्राम में महात्मा गांधी के सहयोगी रहे स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल गणी को समर्पित पुस्तक में जीवन में सफल बनने के लिए सकारात्मक सोच के साथ काम करने का संदेश दिया गया है.

वेस्ट बंगाल उर्दू अकादमी ने नवयुवकों के बिच सकारात्मक सोच बनाने के लिए पुस्तक की 50 कॉपियां स्टूडेंटस को नि:शूल्क देने का निर्णय किया है. अवसर पर टीडीबी कॉलेज की उर्दू विभाग की प्रोफेसर डॉ शाबरा हिना खातून, अजय कुमार गुप्ता, इकबाल हुसैन, नौशाद आलम , नजीम अहमद यूसीफी, खालीद अहमद आदि उपस्थित थे.

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