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उत्पादन के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेगी कोल इंडिया

सांकतोड़िया : कोल इंडिया कोयला उत्पादन के साथ-साथ कोयला मजदूरों की सुरक्षा को लेकर अत्यंत गंभीर है. इसी के मद्देनजर कंपनी जीरो दुर्घटना के लक्ष्य को निर्धारित कर काम कर रही है. पावर सेक्टर में कोयले की बढ़ती मांग को देखते हुए उत्पादन में तेजी से वृद्धि की जा रही है. कोयला खानों में दुर्घटना […]

सांकतोड़िया : कोल इंडिया कोयला उत्पादन के साथ-साथ कोयला मजदूरों की सुरक्षा को लेकर अत्यंत गंभीर है. इसी के मद्देनजर कंपनी जीरो दुर्घटना के लक्ष्य को निर्धारित कर काम कर रही है. पावर सेक्टर में कोयले की बढ़ती मांग को देखते हुए उत्पादन में तेजी से वृद्धि की जा रही है. कोयला खानों में दुर्घटना रोकने के लिये ठेका मजदूरों को भी ट्रेनिंग देने की दिशा में तेज गति काम किया जा रहा है.
कोल इंडिया चेयरमैन अनिल कुमार झा ने कहा कि कोल इंडिया का ने कोयला उत्पादन के साथ-साथ जीरो दुर्घटना को लक्ष्य बनाया है.इसे लेकर प्रबंधन अत्यंत गंभीर और सजग है. उत्पादन के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी कतई बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने कहा कि सुरक्षा नियमों का अनुपालन सभी स्तर पर किया जाना चाहिये.
इस संबंध में सभी कंपनियों को निर्देशित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में कोल इंडिया में कोयले की खरीदारी करने वालों की संख्या में काफी कमी आ गई थी, लेकिन उसके बाद से कोल इंडिया में कोयले की मांग में भारी वृद्धि हुई है.
विशेष तौर पर पावर सेक्टर में कोयले की मांग काफी बढ़ी है. मांग को देखते हुये कोयला उत्पादन में तेजी से वृद्धि की जा रही है. कोयले की मांग को देखते हुये हमने एक बिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. वर्तमान में कोयला ही पावर सेक्टर के लिए एक मात्र सहारा है. हाइड्रो पावर में 26 फीसदी की कमी आई है. न्यूक्लियर पावर उत्पादन में वृद्धि नहीं हो रही है. इसके बाद भी देश में सरप्लस बिजली है, जिसमें कोल सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान है.
उन्होंने कहा कि पावर सेक्टर में आने वाले 10 वर्षों तक कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है. कोल इंडिया चेयरमैन श्री झा ने कहा कि हाल के दिनों में खान दुर्घटनाओं में ठेका मजदूरों के घायल होने के आंकड़ों में वृद्धि हुई है. इसलिए ठेका मजदूरों को माइनिंग का बेहतर प्रशिक्षण देने की दिशा में कवायद जारी है. इसके लिये सभी अनुषंगी कंपनियों को निर्देशित किया जा चुका है.
उन्होंने कहा कि कोल इंडिया की कई आनुषंगिक कंपनियों में भूमि अधिपत्य मिलने में अड़चनों से उत्पादन पर असर पड़ रहा है. इसीएल के राजमहल क्षेत्र में खुली खदानों के लिए अधिग्रहित भूमि का अधिपत्य मिलने में आ रही अड़चनों से कोयला उत्पादन बाधित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सच है कि प्रबंधन द्वारा सीबी एक्ट के तहत अधिग्रहित भूमि का आधिपत्य मिलने में आ रही अड़चनों से कोयला उत्पादन के साथ-साथ कोयला खदान के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए राज्य स्तर पर बातचीत करने का प्रयास जारी है.
उन्होंने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अमले को भी इस दिशा में चिंतन करते हुये क्षेत्र के विकास के लिए संबंधित कोयला खदानों को अधिग्रहित भूमि का आधिपत्य दिलाने की दिशा में हर संभव सहयोग करना चाहिए, ताकि कोयला उत्पादन से रॉयल्टी के रूप में शासन को मिलने वाली भारी भरकम राशि से क्षेत्र का द्रुतगति से
विकास हो सके.

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