रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार को समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने को गंभीरता से लिया. मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. अधिवक्ता हजारीबाग के चरही के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुर्घटना में घायल हो गये थे. अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी थी.
एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, डीजीपी, एनएचएआइ(नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया) को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी किया. सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. हजारीबाग के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश को पूरे मामले की जांच कर 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साथ ही मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे अपने सभी अॉफिसरों को जांच में सहयोग देना सुनिश्चित करेंगे.
खंडपीठ ने यह बताने का निर्देश दिया कि घायल का तुरंत प्राथमिक उपचार क्यों नहीं हो सका. समय पर इलाज की सुविधा नहीं मिल पायी, यह किसकी गलती है. पुलिस की क्या भूमिका रही. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तिथि निर्धारित की. एडवोकेट्स एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट ने एक्टिंग चीफ जस्टिस को आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया है कि चरही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची थी आैर यह कहते हुए वापस लाैट गयी कि घटनास्थल उसके क्षेत्र में नहीं पड़ता है.
घायल अधिवक्ता को समय पर इलाज की सुविधा नहीं मिल पायी, जिस कारण उनकी माैत हो गयी. उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार 21 जनवरी को हजारीबाग से मोटरसाइकिल से हरमू, रांची जा रहे थे. हजारीबाग से लगभग 10 किमी दूर मोरांगी गांव के पास एक ट्रेलर ने उनकी मोटरसाइकिल में धक्का मार दिया. इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गये. समय पर उन्हें चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पायी. बाद में उन्हें सदर अस्पताल हजारीबाग ले जाया गया, जहां उनकी माैत हो गयी थी.