कोलकाता: करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले की जांच व मुआवजा देने की प्रक्रिया पर ममता बनर्जी की सरकार की भूमिका पर वाम मोरचा ने कई सवाल उठाये हैं. राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन विमान बसु ने कहा कि घोटाला हजारों करोड़ का हुआ है, जबकि तृणमूल सरकार ने पीड़ितों के लिए 500 करोड़ रुपये मुआवजा की घोषणा की है. लेकिन मुआवजे की राशि कहां से और कैसे जुटायी गयी? जनता का पैसा जनता के बीच बांटा जा रहा है. आखिर सरकार घोटाला करनेवालों की संपत्ति जब्त करने की पहल क्यों नहीं कर रही. जनता क्या इन बातों को नहीं समझ रही? यदि तृणमूल सरकार ऐसा सोचती है, तो वह गलत है.
सरकार अपना रही उदासीन रवैया
विमान बसु ने आरोप लगाया कि इस घोटाले की जांच व मुआवजे की प्रक्रिया पर तृणमूल सरकार की भूमिका उदासीन है. श्री बसु शुक्रवार को रानी रासमणि एवेन्यू में वाम मोरचा द्वारा आयोजित धरना-प्रदर्शन व विरोध सभा को संबोधित कर रहे थे. मौके पर विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र, मोहम्मद सलीम, क्षिति गोस्वामी, रॉबिन देव, रेखा गोस्वामी समेत वाम मोरचा के अन्य नेता भी मौजूद थे.
विधाननगर कांड की निंदा की : चिटफंड कंपनी में निवेश कर ठगी के शिकार बने लोगों और एजेंटों को लेकर गठित फोरम द्वारा सारधा चिटफंड कांड की जांच सीबीआइ से कराये जाने की मांग पर विधाननगर कमिश्नरेट के निकट प्रदर्शन व ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान पूर्व सांसद व माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती समेत बुद्धिजीवियों, शिक्षाविद् व अन्य दलों के नेताओं की हुई गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए विमान बसु ने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार के सत्ता के दौरान लोकतंत्र का हनन किया जा रहा है. विपक्षी दलों को दबाने का प्रयास तो किया ही जा रहा है. साथ ही विरोधी दलों के नेताओं पर झूठे मामले भी लगाये जा रहे हैं. आरोप के मुताबिक सत्तारूढ़ दल के इशारे पर पुलिस कार्य कर रही है.
अन्य आरोपियों से भी हो पूछताछ : सारधा चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआइ से कराये जाने की मांग दोहराने के साथ माकपा नेता डॉ सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि सारधा मामले में कई नामों का खुलासा हुआ है, जिसमें कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों और सांसदों सहित शीर्ष स्तर के नेताओं के नाम शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मामले की जांच में स्थानीय पुलिस और राज्य प्रशासन सही दिशा में नहीं जा रहे. श्री मिश्र ने प्रश्न किया कि सीबीआइ जांच के बाद अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है या किसी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को जेल भेजा जा सकता है, तो इस मामले की सीबीआइजांच क्यों नहीं हो सकती? इस मामले में कई खुलासे होने बाकी हैं और उच्चतम न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.