कोलकाता : पश्चिम बंगाल में किन्नर मतदाताओं की संख्या करीब पांच लाख होने का अनुमान है लेकिन उनमें से मात्र 513 किन्नरों के नाम ही तीसरे लिंग के रुप में मतदाता सूची दर्ज हो पाए हैं जिसके कारण वे इस चुनावी प्रक्रिया में खुद को अलग थलग महसूस कर रहे हैं. भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब किन्नर तीसरे लिंग के रुप में मतदान कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग ने पुरुष एवं महिला मतदाताओं के अलावा उन्हें भी ‘‘अन्य’’ के रुप में मान्यता दी है.
बंगाल ट्रांसजेंडर:किन्नर संघ (एटीएचबी) का नेतृत्व करने वाली रंजीता सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं खुद को तीसरे लिंग वर्ग में अधिसूचित करा पाई लेकिन हम सभी ऐसा नहीं करा पाए क्योंकि मतदाता सूची तैयार कर रहे कई अधिकारी भी तीसरे लिंग के बारे में नहीं जानते.’’ इससे पहले अधिकतर किन्नरों को अपना नाम महिला या पुरुष मतदाता के रुप में दर्ज कराने के लिए मजबूर होना पडता था. हालांकि इस बात का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसा अनुमान है कि पश्चिम बंगाल में किन्नरों की संख्या पांच से छह लाख है.
राज्य में 6.2 करोड मतदाता हैं लेकिन मतदाता सूची के अनुसार ‘‘अन्य’’ वर्ग में मात्र 513 लोगों के नाम दर्ज हैं. मुर्शिदाबाद निर्वाचन क्षेत्र में ‘‘अन्य’’ वर्ग के रुप में मात्र तीन मतदाताओं के नाम दर्ज हैं. लिंग अधिकार कार्यकर्ता अबीना अहेर ने सुझाव दिया कि निर्वाचन आयोग को तीसरे लिंग के मतदाताओं के लिए विशेष शिविर आयोजित करने चाहिए. उच्चतम न्यायालय ने इस सप्ताह आदेश दिया था कि किन्नर समुदाय को सभी सरकारी दस्तावेजों में तीसरे लिंग के रुप में मान्यता दी जाए और उन्हें ओबीसी के तहत आरक्षण भी दिया जाए.