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दीघा में विस्फोट का रहस्य बरकरार, जाल में फंसा मलबा

हल्दिया. दीघा में गत शनिवार को दो विस्फोट का रहस्य अभी भी बरकरार है. शनिवार की सुबह 11.15 बजे दीघा में पहले विस्फोट की आवाज समुद्र की ओर से सुनाई दी थी. ठीक पांच मिनट बाद ऐसी ही एक और तेज आवाज आयी. विस्फोट की दोनों ही आवाजें इतनी तेज थी कि पर्यटक घबरा कर […]

हल्दिया. दीघा में गत शनिवार को दो विस्फोट का रहस्य अभी भी बरकरार है. शनिवार की सुबह 11.15 बजे दीघा में पहले विस्फोट की आवाज समुद्र की ओर से सुनाई दी थी. ठीक पांच मिनट बाद ऐसी ही एक और तेज आवाज आयी. विस्फोट की दोनों ही आवाजें इतनी तेज थी कि पर्यटक घबरा कर सड़कों पर निकल आये थे.
इधर दीघा के समुद्र तट से 60 नॉटिकल माइल दूर ट्रेलर, ‘ट्रेल नेट’ के ‘अायर रोप’ में भारी मलबा फंसा. सोमवार को उस मलबे की खबर फैलने पर अटकलों का बाजार और गर्म हो गया. शुरुआत में मछुआरों व स्थानीय लोगों ने मलबे को मिसाइल का टुकड़ा बताया. बाद में पुलिस व कोस्टगार्ड के अधिकारियों ने इन अटकलों को खारिज किया. साथ ही बताया कि उद्धार हुअा मलबा विमान का टुकड़ा है.

शंकरपुर पुलिस कैंप में उद्धार मलबे को रखा गया है. जिला पुलिस व हल्दिया कोस्टगार्ड के अधिकारियों ने कई बार मलबे का निरीक्षण किया है. वायुसेना को भी इसकी सूचना दी गयी है. पुलिस की ओर से पहले कहा गया था कि मलबा किसी युद्ध विमान का है जो बंगाल की खाड़ी में गिर गया था. हालांकि विमान के गिरने के दावे को सेना की ओर से खारिज कर दिया गया है.

कलाईकुंडा से सेना की ओर से बताया गया है कि दीघा या बंगाल की खाड़ी के तट पर विमान के गिरने की कोई खबर नहीं है. कोस्टगार्ड के प्रतिनिधियों का कहना है कि जो मलबा पाया गया है वह तीन से छह महीने पहले का है. लेकिन यह किस विमान का है यह केवल सेना या वायुसेना द्वारा बताया जा सकता है. या फिर इसे बनाने वाली संस्था ही इसकी जानकारी दे सकती है. मलबे के एक हिस्से पर एचएएल बेंगलुरु यानी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड लिखा है. पुिलस की ओर से संस्था के साथ संपर्क किया गया है. कांथी के अतिरिक्त पुलिस सुपर (ग्रामीण) इंद्रजीत बसु ने बताया कि यह मलबा किसी विमान का नहीं है, यह स्पष्ट है.

लेकिन दीघा के तट पर किसी विमान के कभी भी गिरने की खबर नहीं आई है. यह मलबा कैसे समुद्र में आया इसकी जांच की जा रही है.
मछुआरों ने बताया कि समुद्र की 300 फीट की गहराई से मलबा जाल में फंसा है. पहले मछुआरे इसे मिसाइल का टुकड़ा मान रहे थे. लेकिन प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया है.

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