प्राप्त जानकारी के अनुसार इंगलिश बाजार थाना इलाके के रहने वाले अपूर्व साहा ने अपनी पत्नी झरना को प्रसव पीड़ा के साथ 24 जून को अस्पताल में भरती कराया था. उसी दिन सीजर से प्रसव कराया गया. अपूर्व साहा का आरोप है कि जन्म के बाद से बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ था. अचानक सोमवार की रात को बच्चे की तबीयत खराब होने की जानकारी दी गई. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चे की तबीयत बिगड़ने के बाद डॉक्टरों से संपर्क करने की कोशिश की गई. रात भर कोई भी डॉक्टर बच्चे की चिकित्सा के लिए नहीं आया.
आखिरकार मंगलवार सुबह बच्चे की मौत हो गई. इधर, बच्चे की मौत की खबर सुनते ही परिजनों तथा उनके साथ आये लोगों का गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया. इन लोगों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया. इनका आरोप है कि चिकित्सा में लापरवाही की वजह से ही बच्चे की मौत हुई है. इलाज के लिए मरीज अस्पताल में पड़े रहते हैं, लेकिन डॉक्टर चिकित्सा करने नहीं आते हैं. अगर रात को ही डॉक्टरों ने नवजात को देख लिया होता, तो उसकी मौत नहीं होती. परिजनों ने लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
मृत बच्चे के एक रिश्तेदार दिवाकर बसाक का कहना है कि चिकित्सा में लापरवाही की वजह से ही बच्चे की मौत हुई है. रात को जैसे ही बच्चे की तबीयत बिगड़ी, उसके इलाज के लिए सभी ने कई बार नर्स, वार्ड मास्टर, यहां तक कि पुलिस से भी सहायता की मांग की गई. पुलिस से अनुरोध किया गया कि मेडिकल कॉलेज में भरती बच्चे को देखने के लिए शीघ्र ही डॉक्टर भेज दे तो उसकी जान बचायी जा सकती है.
उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. डॉक्टर के नहीं रहने की वजह से ही बच्चे की मौत हुई है. इधर, मेडिकल कॉलेज प्रबंधन भी इस हंगामे से परेशान हैं. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने हालांकि चिकित्सा में लापरवाही के आरोपों से इंकार कर दिया है. उसके बाद भी इस मामले के जांच के आदेश दिये गये हैं. मेडिकल कॉलेज के उप-अधीक्षक ज्योतिष चन्द्र दास ने बताया है कि जन्म के समय बच्चे का वजन मात्र दो किलो 400 ग्राम था. सेप्टीसेनिया नामक बीमारी से भी बच्चा पीड़ित था. डॉक्टरों ने उसे बचाने की काफी कोशिश की. उसके बाद भी बच्चे को बचा पाना संभव नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि मृतक के परिवार वालों ने चिकित्सा में लापरवाही की शिकायत की है. उसके बाद जांच के आदेश दे दिये गये हैं.