आरएमओ के पद पर होमियोपैथ व आयुर्वेद के चिकित्सक, 100 रुपये प्रतिदिन दिया जाता है मेहनताना
शिव कुमार राउत
कोलकाता : बेहतर इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों पर भरोसा कर लोग लाखों रुपये खर्च करते हैं, लेकिन अधिकतर अस्पताल लोगों के भरोसे के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. खबर है कि कम खर्च में काम चलाने के लिए बड़े अस्पताल भी गंभीर रूप से बीमार मरीजों को भी आयुर्वेद या होमियोपैथी चिकित्सक के भरोसे छोड़ देते हैं. चिकित्सा नियमों को ताक पर रख कर ऐसा किया जा रहा है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीअाइ) व सेंट्रल काउंसिल ऑफ होमियोपौथी ने इसकी छूट नहीं दी है कि एक होमियोपैथी चिकित्सक एलोपैथी का प्रैक्टिश करे. हालांकि महानगर के कई बड़े नर्सिंग होम तथा अस्पतालों में ऐसा धड़ल्ले से चल रहा है.
क्या है मामला: महानगर में कई ऐसे बड़े अस्पताल हैं, जहां कार्यरत रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) होमियोपैथ या आयुर्वेद के डॉक्टर हैं. ऐसे डॉक्टरों से आम तौर पर रात में काम लिया जाता है. यानी रात में इन पर ही मरीजों की देखरेख व इलाज की जिम्मेवारी होती है.
कुछ अस्पतालों में मात्र 100 रुपये प्रतिदिन के मेहनताना पर ऐसे चिकित्सक कार्य कर रहे हैं. कुछ बड़े प्राइवेट अस्पतालों में अनुभव के हिसाब से 10 हजार रुपये भी वेतन दिया जाता है, जबकि मरीज के इलाज खर्च में आरएमओ का विजिटिंग चार्ज 1500 से 2000 रुपये तक ले लिया जाता है.
किसे कहते हैं आरएमओ : सरकारी अथवा प्राइवेट अस्पताल के इनडोर विभाग को चलाने में रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में छात्रों को पढ़ाने में भी इनकी मदद ली जाती है. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में सीनियर डॉक्टर के सहायक के रूप में इन्हें जाना जाता है. यानी सीनियर डॉक्टर की अनुपस्थित ये मरीज के इलाज से संबंधी कार्य संभालते हैं. जरूरत पड़ने पर आरएमओ रात में आपातकालीन स्थिति में सर्जरी या अन्य इलाज की व्यवस्था कर मरीज को मौत के मुंह से बाहर निकालते हैं. ऐसे में इलाज के क्षेत्र में आरएमओ की भूमिका को समझा जा सकता है, लेकिन कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाने के लिए कुछ अस्पताल प्रबंधन मरीज की चिकित्सा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
मरीज की हो सकती है मौत: एलोपैथी डॉक्टरों के अनुसार होमियोपौथी व आयुर्वेद के चिकित्सकों से मॉडर्न मेडिसिन के डॉक्टर के तौर पर काम लेना जोखिम भरा साबित हो सकता है. ऐसे चिकित्सक को आपातकालीन स्थिति से निबटने का अनुभव कम होता है. ऐसे में मरीज की मौत भी हो सकती है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
महानगर के कई बड़े व प्रतिष्ठित अस्पतालों में यह धंधा चल रहा है. कई होमियोपैथ व आयुर्वेद चिकित्सक रोजगार के लिए ऐसा कर रहे हैं. उनके ऐसा करने से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े दूसरे लोग बदनाम हो रहे हैं. पुुलिस को इसकी जांच करनी चाहिए. यह मरीजों की सेहत से खिलवाड़ ही नहीं, एक अपराध भी है.
डॉ आरडी दूबे, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (अाइएमए) कोलकाता के पूर्व अध्यक्ष
किसी दूसरी चिकित्सा पद्धति से जुड़े डॉक्टर को मॉडर्न मेडिसिन का प्रैक्टिस करना बिल्कुल गलत है. कुछ अस्पताल प्रबंधन कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. पुलिस को इस दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए. ऐसे चिकित्सकों को सबक सिखाना बहुत जरूरी है.
डॉ प्रदीप कुमार नेमामी, अाइएमए ( कोलकाता) के पूर्व अध्यक्ष
क्या कहती है सीआइडी
फरजी डॉक्टरों के खिलाफ सीआइडी अपने स्तर पर मुहिम चला रही है. अगर आरएमओ से संबंधित कोई जानकारी किसी के पास है, तो वह पुलिस या सीधे सीअाइडी से साझा कर सकता है. शिकायत के आधार पर जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी.
एन परवेज, सीआइडी के डीआइजी ऑपरेशन