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अयोध्या में रहे गुमनामी बाबा को लेकर ऐसे तथ्य तथ्य जो दावा करते हैं कि वही थे नेता जी सुभाष चंद्र बोस

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022 : गुमनामी बाबा को ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस मानने वालों की संख्या हजारों में है. गुमनामी बाबा जो कि अपनी अंतिम अवस्था में यूपी के अयोध्या के राम भवन में निवास करते थे.

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022 : क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? या फिर गुमनामी बाबा नेताजी के बेहद खास थे? नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मौत के करीब 77 साल बाद भी इन सवाल अक्सर कई लोगों के मन में आते हैं. इतिहास के पन्नों में सुभाष चंद्र बोस के निधन की घटना, साल 1945 में हुई प्लेन दुर्घटना के तौर पर बताई जाती है. लेकिन उनका नाम फैजाबाद के गुमनामी बाबा के साथ भी जुड़ता रहा. नेता जी के जन्मदिन के मौके पर आइए जानते है गुमनामी बाबा और उनसे जुड़ी बातें

अयोध्या में रहे गुमनामी बाबा 

17 सितंबर 1985 इस कहानी की शुरुआत होती है, जब फैज़ाबाद में गुमनामी बाबा की अचानक मौत हो जाती है. कहा जाता है कि मौत के बाद और अंतिम संस्कार से पहले गुमनामी बाबा के चेहरे को किसी रसायन से बिगाड़ने की कोशिश की गई थी. ताकि चेहरे की शिनाख्त ना हो सके. गुमनामी बाबा की मौत के बाद जब उनके घर की तलाशी ली गयी और वहां कई एसे सामान मिले जो उनका नाम नेता जी के साथ जोड़ने के लिए काफी थे. जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था, उसमें नेता जी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी नीजी चीजें भी मिली जिसके बाद ये अफवाह देश भर में फैल गयी कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे.

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गुपचुप तरीके से मिलने आते थे लोग 

फैज़ाबाद शहर के सिविल लाइंस में बने राम भवन में गुमनामी बाबा ने आखिरी सांसें ली थी. फैज़ाबाद के स्थानीय लोगों के मुताबिक़ गुमनामी बाबा या भगवानजी 70 के दशक में वहां पहुंचे थे. कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि गुपचुप तरीके से 23 जनवरी को उनसे मुलाकात के लिए कई लोग उनके घर आया करते थे. कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं और गुमनामी बाबा के कमरे का सामान देखकर ये कहते हुए फफक पड़ी कि ये सब कुछ उनके चाचा का ही है.

गुमनामी बाबा की मौत के बाद सरकार ने कई कमीशन गठन किए जिनके रिपोर्ट में गुमनामी बाबा को नेता जी मानने से इंकार कर दिया. भारत सरकार यहीं मानती है कि नेती जी की मौत 1945 में प्लेन दुर्घटना में हुई थी.

Prabhat Khabar News Desk
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