Varanasi News: गंगा की स्वच्छता को लेकर पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार प्रयत्नशील रहते हैं. इस बीच नदी की स्थिति को लेकर संकटमोचन मंदिर के महंत और आईआईटी बीएचयू के प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने चिंता जताई है. उनका कहना है कि गंगा में गिरते नाले के बाद भी स्वच्छता के सपने को साकार किया जा सकता है.
वीडियो ट्वीट कर जताई नाराजगी
उन्होंने जीवनदायिनी गंगा की कष्टदायक स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर 21 सेकेंड का वीडियो शेयर कर लिखा है कि 'न्यू बनारस... पैराग्लाइडर, क्रूज और गंगाजी में गिरते हुए नाले... क्या इसी विकास की परिकल्पना की थी हमने...?'
गंगा में गिरते हैं 30 से ज्यादा नाले
गंगा के तुलसी घाट पर रहने वाले महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र का कहना है कि मलदहिया से लेकर राजघाट के बीच गंगा में 30 से ज्यादा नाले गिरते हैं. इन नालों का पानी सीधे गंगा में गिरता है और उसे रोकने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. यह अलग बात है कि रामनगर, रमना, बीएचयू, बीएलडब्ल्यू और दीनापुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन आबादी के लिहाज से वह पर्याप्त नहीं साबित हो पा रहे हैं.
गंगा में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण
इसके अलावा नाले के रूप में तब्दील हो चुकी असि और प्रदूषित वरुणा नदी भी सीधे गंगा में ही अपने गंदे पानी के साथ मिलती है. उन्होंने कहा कि, प्रशासन का ध्यान क़ई बार इस ओर आकृष्ट करने की कोशिश की मगर इसपर किसी ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई. पिछले साल गंगा में बनाई गई नहर को लेकर भी शुरू से ही सवाल उठाए थे, लेकिन कोई बात नहीं सुनी गई थी. वह नहर बाद में गंगा में बाढ़ आने के साथ ही डूब गई थी.
खिड़किया घाट का नाला 30 अप्रैल से हो जाएगा बंद
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि खिड़किया घाट, नक्खी घाट और नगवां में तीन बड़े नालों का पानी आंशिक रूप से गंगा में गिर रहा है. नगर आयुक्त के निर्देशानुसार खिड़किया घाट का नाला 30 अप्रैल को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा अन्य नालों को भी पूरी तरह से बंद करने की कार्ययोजना पर संबंधित विभागों की ओर से काम किया जा रहा है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह