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यूपी में किसान वोटों के लिए गर्म हुई सियासत

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊ:लोकसभा चुनावों को नजदीकी आता देख यूपी के सभी राजनीतिक दल किसानों के हितैषी बनने में जुट गए हैं. अपने-अपने तरीके से काग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) तथा समाजवादी पार्टी (सपा) अब किसानों को एक बड़ा वोटबैंक मानकर उनकी समस्याओं को उठाने लगे हैं. इसीक्रम में […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊ:लोकसभा चुनावों को नजदीकी आता देख यूपी के सभी राजनीतिक दल किसानों के हितैषी बनने में जुट गए हैं. अपने-अपने तरीके से काग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) तथा समाजवादी पार्टी (सपा) अब किसानों को एक बड़ा वोटबैंक मानकर उनकी समस्याओं को उठाने लगे हैं. इसीक्रम में कांग्रेस, बसपा, रालोद तथा भाजपा में किसान दिवस मनाने की होड़ लग गई है. इसके लिए इन दलों ने चौधरी चरण सिंह की जयंती (23 दिसंबर) धूमधाम से ऐलान किया है. जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस पर यूपी में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है.

कहा जा रहा है कि गांवों की राजनीति में पकड़ बनाए रखने को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की अलाह पर मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिया है. सपा प्रमुख ने मुख्यमंत्री को यह सलाह गन्ना किसानों की नाराजगी को भांपते हुए दी थी क्यों कि अखिलेश सरकार ने गन्ना किसानों को बीते वर्ष के बकाया गन्ना मूल्य को चीनी मिल मालिकों से दिलवाने में तेजी नहीं दिखायी और इस वर्ष गन्ना मूल्य में इजाफा भी नहीं किया. जिसके चलते किसानों ने कई जिलों में धरना देकर नाराजगी जताई. नाराज किसानों को मनाने के लिए ही सपा ने भी प्रदेश भर में

किसान दिवस मनाने का फैसला लिया और मुख्यमंत्री ने किसान दिवस के दिन सार्वजनकि अवकाश घोषित कर दिया. अब किसान दिवस के अवसर पर सरकार ने सभी जिलों में किसान सम्मान समारोह कराने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद विधानभवन में आयोजित जयंती समारोह में शिरकत करेंगें तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सैफई के समारोह में भाग लेंगे. किसानों को सम्मानित करेंगे.

सरकार के इस कदम से किसानों की राजनीति करने वाले रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान बेचैन हो गए हैं और उन्होंने सपा से बाजी छिनने के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने की मांग की है. मुन्ना सिंह का कहना है कि चौधरी चरण सिंह ने किसानों के दर्द को महसूस करते हुए जहां जमींदारी विनाश अधिनियम के जरिए जमींदारों के चंगुल से मुक्त कराया तथा किसानों को जमीन का मालिकाना हक प्रदान किया वहीं नाबार्ड बैंक की स्थापना करके साहूकारों के कहर से भी मुक्ति दिलाई.

मुन्ना ने चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने संबंधी मुख्यमंत्री के निर्णय को चुनावी घोषणा बताया. मुन्ना सिंह के अनुसार यह अवकाश निगोशिएबुल इन्स्टूमेन्ट एक्ट के अधीन नहीं होगा. अर्थात उस दिन बैंक और कोषागार खुले रहेंगे. चौधरी चरणसिंह के जन्म दिवस को किसान दिवस के रूप मनाने की परम्परा का श्रेय लेने का दावा करने वाली भाजपा भी पीछे नहीं. सवाल वोट बैंक का है सो जिला केंद्रों पर चौधरी साहब की याद में कार्यक्रम रखे गए हैं. कानपुर व आगरा समेत कई क्षेत्रों में बड़ी सभाएं होगी. भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष विजय पाल तोमर ने कहा है कि भाजपा ने नाम से नहीं काम से किसानों में जगह बनाई है. कांग्रेस ने भी पार्टी दफ्तर में तथा जिलों में चौधरी चरण सिंह की जयंती के दिन कई कार्यक्रम रखे हैं.

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