लखनऊ: उत्तरप्रदेश में खाद्य सुरक्षा योजना लागू कराने को लेकर कांग्रेस के आंदोलन को जनता की आंखों में धूल झोंकने के समान करार देते हुए बहुजन समाज पार्टी :बसपा: अध्यक्ष मायावती ने आज कहा कि जब तक केंद्र सभी राज्यों में इस योजना का खर्च उठाने को तैयार नहीं होता, तब तक यह योजना देश में पूरी तरह लागू नहीं हो सकती.
मायावती ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जहां तक कल लखनउ में कांग्रेस द्वारा खाद्य सुरक्षा योजना को उत्तर प्रदेश में लागू नहीं किये जाने को लेकर धरना प्रदर्शन का सवाल है तो कांग्रेस आंदोलन करके गैर कांग्रेस शासित राज्यों की जनता की आंखों में धूल झोंक रही है. उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून को केंद्र ने बनाया है, लेकिन इसे देश के सभी राज्यों में लागू कराने के लिये इस पर आने वाला खर्च उठाने का भार वहां की राज्य सरकारों पर डाला गया है. देश की ज्यादातर राज्यों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. केंद्र जब तक इसका खर्च उठाने को तैयार नहीं हो जाता तब तक यह योजना पूरे देश में लागू नहीं हो सकती. मायावती ने कहा कि कुछ कांग्रेस शासित राज्यों में यह योजना आधे-अधूरे तरीके से लागू की गयी है और उन्हें इसके लिये पर्दे के पीछे से मदद दी जा रही है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने योजना खर्च के बोझ का हवाला देते हुए अगले साल जुलाई से पहले ‘खाद्य सुरक्षा कानून’ लागू किये जाने में असमर्थता जतायी है. इसके खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कल विधानभवन का घेराव किया था. इस दौरान पार्टी के राज्य प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री तथा प्रान्तीय अध्यक्ष निर्मल खत्री समेत 100 से ज्यादा नेताओं को गिरफ्तार किया गया था.
दंगा आरोपी विधायकों को सम्मानित किये जाने पर बिफरीं मायावती
बसपा अध्यक्ष मायावती ने मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों संगीत सोम तथा सुरेश राणा को कल आगरा में हुई भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की रैली में सम्मानित किये जाने की आज कड़ी निन्दा की.
मायावती ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘लगभग सभी विरोधी पार्टियों के विरोध के बावजूद कल आगरा में भाजपा की रैली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुजफ्फरनगर दंगों में शामिल अपने दो विधायकों को सम्मानित किया. बसपा इसकी कड़ी निंदा करती है.’’ उन्होंने कहा कि भाजपा के इस कदम से उत्तर प्रदेश में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो बसपा इसके लिये भाजपा के साथ सपा को भी बराबर का दोषी मानेगी क्योंकि सपा सकरार को भाजपा को इस तरह की रैली करने की इजाजत नहीं देनी चाहिये थी. जनता को ऐसे कृत्यों से सावधान रहना होगा.
मायावती ने राज्य सरकार पर दंगे करवाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने शामली में हुए दंगों के पीड़ितों के पुनर्वास के लिये 90 करोड़ रुपए जारी करने की पक्षपातपूर्ण अधिसूचना जारी की, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने भी रोक लगायी. इससे साबित है कि सपा सरकार भाजपा की मिलीभगत से दंगे करवाना चाहती है.
मायावती ने नरेन्द्र मोदी पर भी हमला करते हुए कहा कि मोदी रटा-रटाया भाषण देते हैं और जहां भी जाते हैं, वहां के स्थानीय मसलों को उठाते हैं मगर उन्हें यह भी ध्यान देना चाहिये कि पूर्व में प्रदेश और केंद्र में भाजपा की कई सालों तक सरकारें रही हैं तब उसने प्रदेश में इन समस्याओं पर ध्यान क्यों नहीं दिया. मोदी को यहां आकर अगर किसी को कोसना है तो अपनी पार्टी के नेताओं को कोसें.
उन्होंने मोदी को सलाह देते हुए कहा, ‘‘बेहतर होगा कि मोदी यहां आकर हवाई बातें करने के बजाय गुजरात में भाजपा से जुड़े महिला जासूसी कांड को लेकर अपने मधुर वचनों से पूरे देश के भाई बहनों को स्पष्टीकरण दें, लेकिन दुख की बात यह है कि इस मामले में अभी तक मोदी ने मुंह तक नहीं खोला है. मायावती ने कहा कि बसपा चाहती है कि उच्चतम न्यायालय इस मामले का संज्ञान ले और दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ताकि इस प्रकरण की पूरी सचाई देशवासियों के सामने आ सके. आगे चलकर कोई सरकार अपने तंत्र का दुरुपयोग करने की हिम्मत ना जुटा सके.
बसपा अध्यक्ष ने अपनी महिला सहकर्मी से कथित यौन र्दुव्यवहार करने के आरोपी तहलका पत्रिका के सम्पादक तरुण तेजपाल को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की. मायावती ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘मेरी सरकार के खिलाफ जब सपा सरकार को मुद्दा नहीं मिलता है तो उसका मुखिया यहां स्मारकों को लेकर अकसर रोनाधोना शुरु कर देता है. यह साजिश है ताकि प्रदेश की जनता का ध्यान बिगड़ी कानून वयवस्था से हटाया जाए लेकिन जनता इस साजिश को अच्छी तरह समझ चुकी है.’’