।। राजेन्द्र कुमार ।।
लखनऊ : कभी हिंदुस्तान की राजधानी रहे आगरा में बुधवार से होने वाली समाजवादी पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी दिल्ली की गद्दी तक पहुंचने की रणनीति का खाका तैयार करेगी. कांग्रेस के साथ सपा के रिश्तों के नफा-नुकसान पर भी इसमें मंथन होगा. दंगे की तपिश में झुलस रहे मुजफ्फरनगर के हालत के चलते बने राजनीतिक माहौल पर भी चर्चा करते हुए पार्टी भविष्य की संभावनाओं की खिड़की खुली रखकर कांग्रेस की नीतियों पर हमलावर रुख अख्तियार करने का निर्णय भी इसमें लेगी.
सपा के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार कार्यकारिणी की बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव पर पार्टी की रणनीति पर मंथन करने के साथ ही नवम्बर माह में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर चर्चा होगी. करीब एक वर्ष पहले कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद यह बैठक होने जा रही है.
पार्टी के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण क्योंकि इसके बाद सभी पार्टी नेताओं के एक साथ बैठने का मौका चुनावों की सरगर्मी के चलते नहीं मिलेगा. ऐसे में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने के लिए यूपी से अधिकाधिक सीटें जीतने के साथ ही दूसरे राज्यों में भी पार्टी को सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक पुख्ता रणनीति की जरूरत है. यही रणनीति पार्टी के वरिष्ठ नेता सपा प्रमुख की मौजूदगी में दो दिन यहां रहकर तैयार करेंगे.
इसके चलते नवम्बर माह में मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली के साथ ही छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बैठक में यह तय होगा कि इन राज्यों के विधान सभा चुनाव में पार्टी शिरकत करे तो उसकी रूपरेखा क्या हो? सपा नेताओं का मत है कि इन राज्यों के चुनावी नतीजे लोकसभा चुनाव में पार्टी की जमीनी हकीकत का खाका खींच देंगे. इसलिए इन राज्यों में दिल्ली की कुर्सी के लिए पार्टी किसका साथ लें और कैसे चुनाव लड़ें? इस पर मंथन होगा.
ऐसा इसलिए जरूरी है कि लोकसभा चुनाव में सपा ने यूपी से 60 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. इसमें और बढ़ोतरी दूसरे राज्यों से ही संभव है. इतनी सीटों के बाद ही सपा दिल्ली की कुर्सी के नजदीक पहुंच सकती है. तभी तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की स्थिति में सपा निर्णायक भूमिका में होगी. यह चर्चा भी है कि कार्यकारिणी में पार्टी नेतृत्व आगामी लोकसभा चुनाव के लिये अपने मतदाताओं को आकर्षित करने की खातिर यूपी विधानसभा चुनाव की तर्ज पर एक नया खाका तैयार करेगी.
* कांग्रेस से रिश्तों का नफा-नुकसान आंकेगी सपा
कांग्रेस के साथ नरम गरम रिश्ते रखने वाले सपा नेता मुद्दों के आधार पर कांग्रेस का विरोध करने के पक्ष में हैं. ऐसे में बैठक के दौरान कांग्रेस से दूरी बनाने का फैसला हो सकता है. ताकि केंद्र की अगली सरकार में संभावनाओं की खिड़कियां खुली रहे. कहा जा रहा है कि इसके लिए पार्टी कांग्रेस पर हमला बोलने के लिए उसके भ्रष्टाचार, देश की आर्थिक नीतियों, रुपयों की गिरती कीमत, चीन, पाकिस्तान की सीमाओं से भारत में घुसपैठ को चुनावी मुद्दा बनाने पर कार्यकारिणी में मोहर लगाएगी.
* भाजपा और बसपा पर साधा जायेगा निशाना
बैठक के दौरान यूपी के माहौल को खराब करने के लिए पार्टी भाजपा और बसपा को जिम्मेदार ठहराने का फैसला भी कार्यकारिणी में होगा. पार्टी नेताओं के अनुसार यूपी में सांप्रदायिकता के उफान, अयोध्या के चौरासी कोसी यात्रा से उपजे हालात और मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा पर चर्चा करते हुए भाजपा और बसपा पर निशाना साथा जाएगा. इसके साथ ही गैर कांग्रेस- भाजपाई धारा से इतर शक्तिशाली धारा बनने के लिए सपा किसान -पिछड़े, मुसलमान और दलितों के बड़े वर्ग को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखने की रणनीति पर मंथन करेगी.
* प्रत्याशियों पर भी होगा मंथन