लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आम की फसल पर इस बार कुदरत की मार पडी है. बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और आंधी के थपेडों से सूबे में आम की फसल को करीब 30 फीसद तक नुकसान हुआ है, नतीजतन इस साल उंची कीमत होने के कारण फलों का राजा गरीबों को मयस्सर होगा, इसकी उम्मीद कम ही है.
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कुदरत की मार से बर्बाद हुई आम की 30 फीसद फसल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आम की फसल पर इस बार कुदरत की मार पडी है. बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और आंधी के थपेडों से सूबे में आम की फसल को करीब 30 फीसद तक नुकसान हुआ है, नतीजतन इस साल उंची कीमत होने के कारण फलों का राजा गरीबों को मयस्सर होगा, इसकी उम्मीद कम ही […]
ऑल इंडिया मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने बताया ‘‘हाल में हुई बेमौसम बरसात, ओले गिरने और अनेक हिस्सों में आयी आंधी की वजह से आम के पेडों पर आया बौर तथा छोटी अमिया झडकर उड गयीं. कुदरत की इस मार से सूबे में आम की करीब 30 प्रतिशत फसल बरबाद हो गयी है.’’ आम की फसल को हुए नुकसान का आकलन करने के लिये देहरादून में आम उत्पादकों से मुलाकात करके लौटे अली ने कहा कि मौसम के मिजाज को देखते हुए अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि आम की फसल को आगे नुकसान नहीं होगा. सहारनपुर के आम उत्पादकों के अनुमान के मुताबिक उनके यहां आम की फसल को करीब 70 फीसद नुकसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि आम किसानों की हालत को अन्य किसानों से भी ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि सरकार उन्हें प्राकृतिक आपदा से फसल बरबाद होने की स्थिति में कोई मुआवजा नहीं देती. इसके लिये तमाम आवाज उठायी गयी लेकिन कोई असर नहीं हुआ.
अली ने कहा कि पूरे प्रदेश में करीब तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 38 से 40 लाख टन आम पैदा किया जाता है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में आम के कारोबार से जुडे लोगों की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है.
अली ने कहा ‘‘आम उत्पादकों की मांग है कि उन्हें भी फसल खराब होने पर अन्य किसानों की तरह सरकारी मदद मिले. मैं इस सिलसिले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखूंगा.’’ आल इंडिया मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन के बेहट इकाई के अध्यक्ष अहसन कुरैशी ने बताया कि प्राकृतिक कारणों से सहारनपुर में आम की फसल को बहुत नुकसान हुआ है और प्रभावित आम उत्पादकों को सरकारी मदद मिलनी चाहिये.
उन्होंने कहा कि सिर्फ मुआवजा ही नहीं बल्कि आम उत्पादकों को झटके से उबरने के लिये विभिन्न तरह की सब्सिडी भी दी जानी चाहिये.
अपने जायके के लिये मशहूर लखनउ के दशहरी आम के निर्यात की निराशाजनक स्थिति का जिक्र करते हुए इंसराम अली ने कहा कि सउदी अरब तथा दुबई में आम की इस किस्म को काफी पसंद किया जाता है लेकिन उसका निर्यात आशा के अनुरुप नहीं है.
उन्होंने बताया कि पिछले साल आठ से नौ टन आम का निर्यात किया गया था. इसके लिये किराये में कोई सब्सिडी नहीं दी गयी थी. हमारी मांग है कि प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिये हमे 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाए.
आम की अनेक किस्में विकसित करने के लिये ‘मैंगो मैन’ के नाम से मशहूर हाजी कलीम उल्ला ने बताया कि कुदरत की मार से आम की फसल को नुकसान होने से इस बार दशहरी आम की कीमत में पिछले साल के मुकाबले 10 से 20 रपये प्रति किलोग्राम की बढोत्तरी होने का अनुमान है.
उन्होंने बताया कि पिछले साल अच्छी किस्म का दशहरी आम 40 रपये प्रति किलोग्राम बिका था, जबकि सफेद और चौसा क्रमश: 30 और 35 रुपये किलो के दाम में बेचा गया था. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में कई आम पट्टी क्षेत्र हैं जिनमें लखनउ के मलिहाबाद के अलावा सहारनपुर, शाहाबाद, हरदोई, बुलंदशहर, अमरोहा, बाराबंकी तथा उन्नाव प्रमुख हैं.
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