!!राजेन्द्र कुमार!!
लखनऊः सूबे के विभिन्न जिलों में सार्वजनिक भूमि, पार्क और सड़क के किनारे अवैध तरीके से बनाए गए 38355 धार्मिक स्थलों को हटाने संबंधी कार्रवाई करने से जिलाधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार जिलाधिकारियों को इन्हें हटाने की कार्रवाई करनी है, लेकिन गौतमबुद्धनगर के ग्राम कदलापुर में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार के गिराने को लेकर सरकार ने जिस तरह से आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किया, इस कारण अब सूबे के नौकरशाह इन धार्मिक स्थलों को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. उन्हें डर है कि किसी धार्मिक स्थल को हटाने के मामले में वह भी निलंबित हो सकते हैं. इसलिए सूबे के नौकरशाह इन्हें हटाने के मामले में कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं. वैसे भी एक कहावत है कि होम करते हुए कोई अपने हाथ नहीं जलाता.
हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने देश भर में सार्वजनिक भूमि, पार्क और सड़क के किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को चिह्नित कर उन्हें दूसरे स्थान पर स्थापित करने या उन्हें हटाने के निर्देश दिए हुए हैं. इसके तहत मायावती सरकार ने यूपी में हर जिले में बने ऐसे धार्मिक स्थलों को चिह्नित करने की कार्रवाई कराई थी. इस दौरान यूपी के 75 जिलों में 45152 धार्मिक स्थल अवैध भूमि पर बने पाए गए थे. इन्हें हटाने के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता ने मंडलायुक्त व जिलाधिकारी की अध्यक्षता में दो अलग-अलग समितियां गठित की थी और उन्होंने जिलाधिकारियों को इसका जिम्मेदार बताते हुए उन्हें अवैध भूमि पर बने धार्मिक स्थलों को हटाने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया. बीते वर्ष चार वर्षों में मुख्य सचिव के स्तर से सूबे के सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी , आईजी रेंज, डीआइजी रेंज तथा पुलिस कप्तानों को कई बार पत्र भेजकर इस संबंध में कार्रवाई करने का आदेश दिया गया.
जिसके चलते अनाधिकृत तरीके से बताए गए 68 धार्मिक स्थलों को हटा गया और सरकारी भूमि पर बने 48 धार्मिक स्थलों को अन्य स्थानों पर विस्थापित किया गया. जबकि 38355 धार्मिक स्थल हटाने संबंधी कार्रवाई करने से मायावती सरकार में बचा गया. सूबे की सत्ता में अखिलेश यादव के काबिज होने पर इस ओर कोई ध्यान बीते माह तक दिया ही नहीं गया. बीती छह जुलाई को जब सुप्रीमकोर्ट द्वारा इस मामले में अब तक हुई कार्रवाई के बारे में ब्यौरा दाखिल करने का आदेश दिया गया, तब इस तरफ सरकार का ध्यान गया. इसी बीच आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने गौतमबुद्ध नगर में एक निर्माणधीन मस्जिद की दीवार गिराने की पहल कर दी. दुर्गा शक्ति के इस निर्णय को सरकार ने गलत बताते हुए उन्हें निलंबित कर दिया.
दुर्गा शक्ति के खिलाफ हुई इस कार्रवाई के बाद जब सरकारी भूमि पर अवैध तरीके से बनाए गए 38355 धार्मिक स्थलों को हटाने संबंधी कार्रवाई करने को लेकर जिलाधिकारियों से जब पूछा गया तो अधिकांश जिलाधिकारियों ने इस मामले में अभी कोई कार्रवाई करने से मना कर दिया. इन लोगों का कहना है कि मौजूदा समय में इन धार्मिक स्थलों को हटाने पर कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है और सरकार से भी इस मामले में सहयोग मिलने की उम्मीद नहीं है. ऐसे में अवैध तरीके से सरकारी भूमि पर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने संबंधी कार्रवाई करने पर दूर ही रहना ठीक है. सूबे के विभिन्न जिलों में तैनात इन जिलाधिकारियों के इस रूख को भाजपा प्रवक्ता विजय पाठक ठीक बता रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखकर कार्रवाई कर रही है. ऐसे में जिलाधिकारी भी फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं.
सबसे अधिक अवैध धार्मिक स्थल सिद्धार्थनगर में –