23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्यपाल के बदलने के साथ ही बदला राजभवन

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः उत्तर प्रदेश के 28वें राज्यपाल के रूप में राम नाईक ने शपथ लेने के साथ ही राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोलने की घोषणा हो गई. खुद राम नाईक ने राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोलने का ऐलान किया और कहा कि वह आम जनता और अन्य लोगों […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः उत्तर प्रदेश के 28वें राज्यपाल के रूप में राम नाईक ने शपथ लेने के साथ ही राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोलने की घोषणा हो गई. खुद राम नाईक ने राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोलने का ऐलान किया और कहा कि वह आम जनता और अन्य लोगों से मिलने का सिस्टम बनाएंगे.

यही नहीं प्रदेश की बेहतरी के लिए जनता से सुझाव भी मांगेंगे और यूपी लोगों से जनसंपर्क रखेंगे. यानि प्रदेश की बेहतरीके लिए यूपी की जनता अपने सुझाव सीधे राजभवन को दे सकेगी. यूपी में राजभवन के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल ने प्रदेश की बेहतरीके लिए जनता से सुझाव लेने की खातिर राजभवन के दरवाजे खोलने की बात कही है. जबकि सूबे के पूर्व राज्यपाल टीवी राजेस्वर और बीएल जोशी राजभवन में पत्रकारों और आम जनता से मिलने में संकोच करते थे.

एक माह तक यूपी के कार्यवाहक राज्यपाल रहे डा.अजीज कुरैशी ने जरूर जनता की समस्याओं के निदान के लिए राजभवन में जनता दरबार लगाया पर उन्होंने राजभवन के दरवाजे जनता के लिए पूरी तरह से खोलने की व्यवस्था नहीं की. ऐसे में जब एक सादे समारोह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ राम नाईक को यूपी के राज्यपाल पद की शपथ दिलाई और उनके तुरन्त बाद राम नाईक ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में राजभवन के दरवाजे जनता के लिए खोलने की बात कही तो उनका स्टाफ भी हैरत में पड़ गया. जिसकी परवाह नए राज्यपाल ने नहीं की और पत्रकारों को अपने राजनीतिक संघर्ष के बारे में विस्तार से बताकर यह जताया कि यूपी का राजभवन अब प्रदेश सरकार के कामकाज पर नजर रखेगा.

यह संदेश देते हुए राम नाईक ने यूपी के पूर्व राज्यपालों के किसी भी निर्णय पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. हालांकि पत्रकारों ने जौहर विश्वविद्यालय को लेकर उनके घुमा फिराकर कई सवाल पूछे, तो उन्होंने जौहर विश्वविद्यालय संबधीं से संबंधित राजभवन के फैसले पर साफ तौर पर तो कुछ नहीं कहा. गोलमोल शब्दों में उन्होंने सिर्फ यही कहा कि कोई भी राज्यपाल अपने पूर्व के साथी के निर्णय की समीक्षा नहीं कर सकता, पर जिस किसी को भी डा. कुरैशी के फैसले पर आपत्ति हो तो वह न्यायपालिका में दस्तक दे सकता है.

यूपी के 28वें राज्यपाल के रूप में राम नाईक ने अपनी प्राथमिकताओं को खुलकर पत्रकारों को बताया और साफतौर पर कहा कि वह यूपी के राज्यपाल के रूप में संविधान के दायरे में रहकर केन्द्र व प्रदेश सरकार के बीच सेतु का काम करेंगे. यह दावा करते हुए राम नाईक ने यूपी का राज्यपाल बनाए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के प्रति आभार जताया और कहा लम्बे राजनीतिक जीवन के बाद अब वह जीवन के नये मोड पर खडे हुए हैं. अब संविधान के अधीन जनता की भलाई के लिए उन्हें काम करना है. यह देखना है कि केंद्र की योजनाएं राज्य में ठीक से चले.

प्रदेश सरकार केंद्र की योजनाओं को ठीक से लागू करे. केंद्र सरकार द्वारा गंगा के विकास को लेकर तैयार की जा रही योजना का भी उन्होंने जिक्र किया और कहा कि यह योजना महत्वपूर्ण है. इसके लिए प्रदेश सरकार के सामने जो बाधा आयेगी उसके निराकरण के लिए केन्द्र सरकार से मिलकर काम करने का प्रयास करूंगा. नए राज्यपाल ने यह दावा भी किया कि वह अपने पांच साल के कार्यकाल में ऐसा कोई भी फैसला नहीं होने देंगे जो गलत हो.

समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार से राजभवन के रिश्तों को लेकर राम नाईक ने कहा कि हम मिलजुलकर काम करेंगे. सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा मुखिया मुलायम सिंह ने मुझे यूपी का राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा होने के तुरन्त बाद बधाई दी थी. उनके साथ काम करने में कोई बाधा नहीं उत्पन्न होगी. यूपी के लोगों के साथ मुम्बई में राज ठाकरे की पार्टी के लोगों द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि राज ठाकरे की तोड़फोड़ करने की शक्ति है पर बीते लोकसभा में वह खत्म हो गई. राज ठाकरे का एक भी उम्मीदवार चुनाव में अपनी जमानत राशि तक नहीं बचा सका, यानि अब भाषा और जाति के आधार पर राजनीति तथा विवाद करने के दिन खत्म हो गए. अब मिलजुल कर काम करने के दिन आए हैं और यूपी में वह यही करेंगे.

अब राज्यपाल को महामहिम नहीं माननीय कहा जाएगा

राजभवन को जनता के और नजदीक लाने के लिए अब महामहिम जैसे शब्दो का प्रयोग राज्यपाल के लिए नहीं किया जाएगा. इस बात की घोषणा स्वयं नवनियुक्त राज्यपाल रामनाईक ने की है. उन्होंने कहा कि उन्हे महामहिम से नहीं, बल्कि माननीय के तौर पर ही सम्बोधित किया जाए. राम नाईक के अनुसार बीते दिनों राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से वह मिले थे, इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने मुझको भारत के संविधान की एक प्रति दी और कहा कि अच्छा होगा कि राज्यपाल के सम्बोधन के दौरान महामहिम के स्थान पर माननीय शब्द का इस्तेमाल किया जाए. मैंने उनकी सलाह मान ली और अपने स्टाफ को बता दिया कि मुझे महामहिम नहीं माननीय कहा जाए, इसकी जानकारी शासन के लोगों को दे दी जाए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें