औरंगाबाद (नगर) : इतिहास गवाह है कि एक –एक इंच भूमि के लिए कई बड़े–बड़े युद्ध हुए है. महाभारत को भी लोग इसी श्रेणी में रखते हैं. भगवान राम जिस धरती की प्रतिदिन पूजा कर भोजन ग्रहण करते थे उसे आज कई भागों में बांट दिया गया है.
एक ही भूमि के लिए दर्जनों बार सौदेबाजी की गयी. अंतत: वह भूमि किसी का नहीं हुआ. यदि हम औरंगाबाद जिले की बात करें तो पांच साल में भूमि की कीमत काफी तेजी से बढ़ी है.
जो भूम वर्ष 2008 में एक लाख रुपये कट्ठा (3.8 डिसमिल) था. उसकी कीमत वर्ष 2013 में छह लाख रुपये हो गयी और जो एक लाख रुपये डिसमिल की थी वह चार से पांच लाख रुपये हो गयी. औरंगाबाद शहरी क्षेत्र में पड़ने वाला इलाका रामाबांध, कथरूआ, जसोइया, फॉर्म, गंगटी, रजवारी करमा रोड, कामा बिगहा में भूमि की कीमत तेजी से बढ़ी है.
दलालों की कट रही चांदी
भूमि का भाव बढ़ाने में दलालों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. दलाल अच्छी भूमि को देख मालिक को भूमि की कीमत का 20 प्रतिशत एडवांस देकर अपने नाम एग्रीमेंट करा लेते हैं.
जिस भूमि की कीमत तीन लाख रुपये होती है उसे दलाल पांच लाख रुपये में बेच कर दो लाख रुपये का मुनाफा कमा लेते है और जिस भूमि की कीमत दो लाख रुपये डिसमिल होती है उसे ढाई लाख रुपये मालिक को देने की बात कह भाव बढ़ा देते है.
क्या है कारण
जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंड मुख्यालयों में भूमि के महंगा होने के कई कारण है. किसी को शहर में रहने का शौक गांव से खींच लाया, तो कोई उग्रवाद के कारण शहर में बसा. किसी को अचानक मिले पैसा ने शहर में रहने को प्रेरित किया. औरंगाबाद शहर के विभिन्न मुहल्लों में 80 प्रतिशत लोग गांवों से आकर बसे हैं.
इनमें अधिकतर देव, कुटुंबा, रफीगंज, हसपुरा, गोह, नवीनगर, ओबरा इलाके से हैं. इन क्षेत्र से आये लोगों का मानना है कि शहर में बाल–बच्चों को अच्छी तालिम हासिल करायेंगे.
क्या कहते हैं जानकार
शहर के प्रसिद्ध अमीन नंद किशोर सिंह का कहना है कि औरंगाबाद में भूमि का भाव तेजी से बढ़ा है. साधारण लोगों को भूमि खरीदना बस की बात नहीं है. दलाल चारों तरफ से शहर को घेरे हुए है.
बढ़ी भूमि की कीमत
नवीनगर में बीआरबीसीएल और बारुण–नवीनगर के सीमा पर लग रही एनपीजीसी बिजली घर से मिले किसानों के मिले पैसे के कारण भी भूमि की कीमत बढ़ी है. लोगों का कहना है कि बिजली घर परियोजना में भूमि दिये किसानों सरकार द्वारा लाखों में रकम अदा की गयी.
एक–एक व्यक्ति को पांच से सात करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. भुगतान पाये किसान भूमि के लिए शहर में पहुंच गये और बिक्रेता को मुंह मांगी रकम अदा की.