वीडियो कांफ्रेंसिंग में डीजीपी ने सुनी माओवादी घटनाओं के पीड़ितों की बात
चाईबासा : आवेदन पर आवेदन करते रहे लेकिन अब तक मुआवजे का एक रुपया नहीं मिला है. अधिकारियों को कई बार लिखित रूप से अवगत कराया गया लेकिन हमेशा नतीजा सिफर ही रहा. अभी डीजीपी सीधे तौर पर शिकायत सुन रहे हैं, इसलिए इसे भी आजमा लिया जाये, शायद हमारी बात वहां तक पहुंच जाये.
मंगलवार को एसपी कार्यालय स्थित वीडियो कांफ्रेंसिंग हॉल में आयोजित डीजीपी आपके द्वार में ज्यादातर फरियादियों ने ये बातें कही. डीजीपी यहां माओवादी घटनाओं के पीड़ितों से बात कर रहे थे. यहां कोई नौकरी तो किसी ने मुआवजा मांगा. डीजीपी आपके द्वार में 18 मामले आये थे. मौके पर डीआइजी मो. नेहाल एवं डीएसपी प्रमोद सिन्हा फरियादियों की बात डीजीपी के समक्ष रख रहे थे.
केस स्टडी-1. छोटानागरा थाना क्षेत्र के दुबिल गांव की सीमा आइंद यहां नौकरी की मांग लेकर आयी थी. सीमा के पति स्व. सुशील आइंद की माओवादियों ने 12 फरवरी 2012 को पुलिस का मुखबिर होने के आरोप में हत्या कर दी थी. सीमा के दो बच्चे हैं जिनमें से एक नौ वर्ष और दूसरा तीन वर्ष का है. पति की हत्या के बाद सीमा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दोनों बच्चों की परवरिश के लिए उसे काफी कष्ट उठाना पड़ रहा है. सीमा का कहना है कि कोई नौकरी मिल जाती तो बच्चों की परवरिश में सहारा मिल जाता.
केस स्टडी-2. मुजफ्फरपुर निवासी चंदन कुमार सिंह के पिता शहीद नवल किशोर सिंह यहां हवलदार थे. 19 दिसंबर 2002 को माओवादियों से मुठभेड़ में उनके पिता शहीद हो गये थे. प्रावधान है कि शहीदों के दो बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाती है. लेकिन शहीद नवल किशोर सिंह के परिवार को यह सुविधा नहीं मिली. घटना के 12 साल बीत जाने के बाद भी एजुकेशन फंड का एक रुपया नहीं मिला है. चंदन कुमार ने बताया पहले दो बार इसकी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन मामला कहां तक पहुंचा पता नहीं.