केरसई : बाघडेगा पंचायत के 10 गांव के लोगों के लिए आजादी के इतने वर्षों बाद भी बिजली सपना बन कर रह गयी है. बाघडेगा पंचायत के बंधना टोली, दुला टोली, धवई टोली, टोंगरी टोली, चेरवा टोली, महुआ टोली, चुटिया टोली, डोगी झरिया, रायबेड़ा व बैरबेड़ा आदि गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची.
इन गांवों में अभी तक बिजली के पोल तक नहीं लगे हैं. बंधना टोली में 200 परिवार, दुला टोली में 100 परिवार, धवई टोली में 50 परिवार, टोंगरी टोली 70 परिवार, चेरवा टोली 150 परिवार, महुआ टोली 190 परिवार, चुटिया टोली 160 परिवार, डोगी झरिया में 235 परिवार, रायबेड़ा में 300 परिवार निवास करता है. यहां के बच्चे अभी भी ढिबरी की रोशनी में पढ़ाई करते हैं. उक्त गांव में महली, उरांव, बड़ाइक, लोहरा, खड़िया व कुम्हार के अलावा अन्य समुदाय के लोग निवास करते हैं. गांव के सुशील कुजूर का कहना है कि बिजली के लिए सर्वे हुआ था, किंतु अब तक बिजली नहीं पहुंची.
अरविंद बड़ाइक ने कहा कि मुखिया चुनाव के बाद बिजली आने की उम्मीद जगी थी. सोचा था गांव का विकास होगा, किंतु यह सोच आज भी सपने के समान है. महुआ टोली निवासी मदन मांझी ने कहा कि चुनाव के समय सिर्फ आश्वासन दिया जाता है. बिजली के लिए कई बार विभाग को लिखित रूप से जानकारी दी गयी, किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई. ढोंगी झरिया निवासी पास्कल कुजूर ने कहा कि जन प्रतिनिधि या प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है. बिजली के अलावा कई अन्य समस्याएं भी हैं.
धवई टोली निवासी महरंग बड़ाइक का कहना है कि झारखंड राज्य अलग होने के बाद भी गांव का विकास नहीं हुआ. रायबेड़ा निवासी मजिद अंसारी ने कहा कि बिजली के अभाव में बच्चे ठीक सो पढ़ाई नहीं कर पाते. पूर्व मुखिया पत्रिक बाड़ा ने कहा कि सरकार एवं बिजली विभाग की लापरवाही के कारण पंचायत के कई गांव अधेरें में है.
बाघडेगा पंचायत की मुखिया सावित्री देवी ने कहा कि बिजली विभाग की उदासीनता के कारण पंचायत के कई गांव बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई बार उपायुक्त सहित विभागीय पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया, किंतु इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी.