स्थानीयता झारखंड की आत्मा के समान : आनंदसंवाददाता, साहिबगंजझारखंड जन अर्थात आदिवासी और मूलवासी के लिये डोमिसाइल या स्थानीयता का मामला झारखंड की आत्मा के समान है. इसके बिना झारखंड वासी पिछले 14 वर्षों से आत्मविहीन शरीर ढ़ोने को मजबूर हैं. यह बातें सोमवार को आदिवासी सेंगेल अभियान एवं झारखंड दिशोम पार्टी की ओर से समाहरणालय के सामने आयोजित धरना में पार्टी के आनंद मुर्मू ने कही. धरना के बाद एक शिष्टमंडल डीसी से मिला और उन्हें मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि भाजपा सरकार ने 18 मार्च की बैठक में 15 नवंबर 2000 को कट ऑफ डेट मानकर स्थानीयता तय करने का मंशा जाहिर की है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. यह आदिवासी मूलवासी के अस्तित्व की पहचान और हिस्सेदारी को जड़ मूल से उजाड़ने का षड्यंत्र है. झारखंड वासी इसका विरोध करते हैं. बिरसा मुंडा के सपनों को सच बनाने वाला डोमिसाइल नीति का प्रारूप लागू करें अन्यथा आदिवासी मूलवासी आंदोलन करने के लिये बाध्य होंगे. इस अवसर पर चूंडा हेंब्रम, पटवारी मरांडी, निकिता हांसदा, सबिना किस्कू, निर्मल मुर्मू, जबेल हेंब्रम आदि थे……………….फोटो नं 30 एसबीजी 2 हैं.कैप्सन: सोमवार को समाहरणालय के निकट धरना देते दिशोम पार्टी के सदस्यगण
स्थानीयता मुद्दे को लेकर झारखंड दिशोम पार्टी ने दिया धरना
स्थानीयता झारखंड की आत्मा के समान : आनंदसंवाददाता, साहिबगंजझारखंड जन अर्थात आदिवासी और मूलवासी के लिये डोमिसाइल या स्थानीयता का मामला झारखंड की आत्मा के समान है. इसके बिना झारखंड वासी पिछले 14 वर्षों से आत्मविहीन शरीर ढ़ोने को मजबूर हैं. यह बातें सोमवार को आदिवासी सेंगेल अभियान एवं झारखंड दिशोम पार्टी की ओर से […]
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