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Prabhat Khabar Special: झारखंड में वज्रपात का शिकार होने पर कितना मिलता है मुआवजा? जानें विस्तार से

झारखंड में हर साल 350 लोगों की मौत वज्रपात से हो जाती है. जबकि हर साल पूरे राज्य में 4.5 लाख बार थंडरिंग और वज्रपात होता है. इसका सबसे ज्यादा शिकार जनजातीय लोग होते हैं.

Thunderstorm In Jharkhand रांची : बारिश के मौसम में वज्रपात होना आम बात है. ग्रामीण इलाकों में तो अक्सर इस तरह की घटनाएं देखने और सुनने को मिल जाती है. लेकिन सरकार के पास इसे रोकने के लिए अब तक कोई भी एक्शन प्लान नहीं है. तड़ित चालक की भी स्थिति ऐसी है कि आधे से ज्यादा बेकार स्थिति में हैं. हालांकि मौसम विभाग जरूर समय से पहले मैसेज के जरिये अलर्ट करता है. लेकिन ग्रमीण क्षेत्रों के लोगों तक अब भी इसकी जानकारी नहीं पहुंच पाती है.

इसकी बड़ी वजह लोगों का टेक फ्रेंडली न होना है. आंकड़े के मुताबिक पूरे राज्य में हर साल 350 लोगों की मौत वज्रपात से हो जाती है. जबकि यहां हर साल करीब 4.5 लाख बार थंडरिंग और वज्रपात होता है. इसमें जनजातीय लोगों की संख्या सर्वाधिक 68 फीसदी है. विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में जनजातीय समुदाय के लोग सबसे अधिक निवास करते हैं. चूंकि वो प्रकृति के ज्यादा करीब रहते हैं इसलिए बारिश के मौसम में उन्हें वज्रपात की आशंका सबसे अधिक रहती है. सरकार भी इस हादसे के शिकार हुए लोगों को मुआववजा देती है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि हमें किन परिस्थितियों में कितना लाभ मिलेगा.

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कितनी होती है मुआवजे की रकम

  • वज्रपात से एक व्यक्ति की मौत पर मृतक के आश्रित को चार लाख का मुआवजा मिलता है.

  • वज्रपात से घायल व्यक्ति को स्थिति के अनुरूप 4000 से दो लाख रुपये तक का मुआवजा.

  • वज्रपात से कच्चा या पक्का घर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने पर ‍~95,100 मुआवजा.

  • झोपड़ीनुमा मकान के क्षति पर प्रति झोपड़ी 2,100 रुपये मुआवजा.

  • दुधारू गाय, भैंस की मौत पर प्रति पशु 30 हजार रुपये मुआवजा.

  • बैल, भैंसा जैसे पशु की मौत पर प्रति पशु 25 हजार रुपये मुआवजा.

  • भेड़ व बकरी समेत अन्य पशु की मौत पर प्रति पशु तीन हजार रुपये मुआवजा

Posted By: Sameer Oraon

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