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1952 से लेकर अब तक कभी वोट डालने से नहीं चूके

वोट आपका संवैधानिक अधिकार है. धूप-बरसात और मौसम का मिजाज देखकर मतदान केंद्र तक नहीं जानेवाले वोटर 91 वर्ष के सत्येंद्र सिन्हा से सीख सकते हैं. श्री सिन्हा वर्ष 1951-52 में देश के पहले आम चुनाव में हुए मतदान के गवाह हैं.

लता रानी (रांची).

वोट आपका संवैधानिक अधिकार है. धूप-बरसात और मौसम का मिजाज देखकर मतदान केंद्र तक नहीं जानेवाले वोटर 91 वर्ष के सत्येंद्र सिन्हा से सीख सकते हैं. श्री सिन्हा वर्ष 1951-52 में देश के पहले आम चुनाव में हुए मतदान के गवाह हैं. इन 72 वर्षों में वे एक बार भी वोट देने से नहीं चूके हैं. उम्र उनके अधिकार के आड़े नहीं आती. चुनाव के दौरान वे एक युवा की तरह जज्बा और उत्साह रखते हैं. वर्तमान लोकसभा चुनाव में भी वे मतदान को लेकर खासे उत्साहित हैं. श्री सिन्हा ने अपने जीवन की लंबी यात्रा में चुनाव के तौर-तरीके का बदलाव देखा. बैलेट से इवीएम तक का सफर देखा. आज अपने मतदान केंद्र एसएस मेमोरियल कॉलेज में अपना बहुमूल्य वोट डालेंगे. श्री सत्येंद्र ने जब पहली बार मत डाला तब उनकी आयु 21 वर्ष की थी. उस समय से देश में हाेनेवाले प्रत्येक चुनाव में अपना मतदान करते आ रहे हैं. उनका जन्म 1932 में बिहार के हरनौत में हुआ था. बताते हैं उस समय और आज के मतदान में काफी अंतर है. तब भोपू से चुनाव प्रचार होता था. तब एक मतदान में एक कोठरी में टेबल पर लाल, पीला, हरा बैलेट बॉक्स रहता था. उसमें पर्ची द्वारा वोट डाला जाता था. आज इवीएम द्वारा वोट डाला जाता है. सत्येंद्र सिन्हा वर्ष 1954 से ही रांची में रह रहे हैं. पहले वन विभाग में नौकरी की, उसके बाद एनसीडीसी और सीसीएल के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में सेवा दी. वर्ष 1994 में सीसीएल से रिटायर हुए. श्री सिन्हा ने वर्ष 1973 में रॉक गार्डेन के सामने अपना घर बनाया. उसके बाद से ही इनका परिवार यहां रह रहा है. इनका बहू-बेटों और पोते-पोतियों वाला भरा-पूरा परिवार है. पत्नी का देहांत वर्ष 1988 में हो गया. इनके दो बेटे हैं, छोटे बेटे नवीन कुमार सिन्हा दो वर्ष पहले सीएमपीडीआइ के पर्सनल मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं. वहीं, बड़े बेटे डॉ प्रवीण सिन्हा संत जेवियर्स कॉलेज के साइंस के प्रोफेसर हैं, जो इसी साल 30 जून को रिटायर होंगे. बड़ी बहू डॉ किरण सिन्हा पहले रांची वीमेंस कॉलेज और बाद में डाेरंडा कॉलेज की प्रोफेसर रही हैं. इन्होंने बाद में ससुर की सेवा के लिए नौकरी छोड़ दी. छोटी बहू नीलू सिन्हा गृहिणी हैं.

गणतंत्र के लिए चुनाव बहुत अहम :

श्री सिन्हा कहते हैं : पहले की तुलना में आज चुनाव प्रचार और मतदान दोनों का तरीका बदल गया है. इन बदलावों को मैंने अपनी आंखों से देखा है. मुझे मतदान के लिए पर्ची मिल गयी है. उसके बाद से ही वोट देने की मेरी बेकरारी बढ़ गयी है. यह मेरे लिए महापर्व की तरह है. मैं बेसब्री से उस पल का इंतजार कर रहा हूं. देश को मजबूत बनाने के लिए गणतंत्र और गणतंत्र को मजबूत बनाने के लिए चुनाव बहुत अहम है. इसलिए हर व्यक्ति को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए. ऐसे व्यक्ति को वोट करें, जो देश का हित साेचे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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