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प्रभात खबर के कार्यक्रम में बोले ज्यां द्रेज , सिर्फ आधार नहीं, ऑफ लाइन सिस्टम से भी मिले अनाज

रांची : झारखंड जैसे राज्य के लिए आधार की अनिवार्यता गैर वाजिब है. यहां की स्थिति अभी एेसी नहीं कि सिर्फ पॉस (इलेक्ट्रॉनिक मशीन) व बायोमेट्रिक्स सिस्टम से ही राशन दिया जाये. सरकार को आधार के अलावा राशन के लिए कोई अॉफलाइन व्यवस्था भी करनी चाहिए. स्मार्ट कार्ड जैसी कोई चीज लागू की जा सकती […]

रांची : झारखंड जैसे राज्य के लिए आधार की अनिवार्यता गैर वाजिब है. यहां की स्थिति अभी एेसी नहीं कि सिर्फ पॉस (इलेक्ट्रॉनिक मशीन) व बायोमेट्रिक्स सिस्टम से ही राशन दिया जाये. सरकार को आधार के अलावा राशन के लिए कोई अॉफलाइन व्यवस्था भी करनी चाहिए. स्मार्ट कार्ड जैसी कोई चीज लागू की जा सकती है. इस सिस्टम के कारण अोरमांझी व रांची जिले में अब भी 20-25 फीसदी परिवार के बीच अनाज का वितरण नहीं हो पा रहा है. उक्त बातें अर्थशास्त्री व सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज ने कही.
वह प्रभात खबर सभागार में अखबार कर्मियों के साथ अपना अनुभव साझा कर रहे थे. ज्यां द्रेज ने कहा कि किसी भी देश के नागरिक के लिए सामाजिक सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. अपने देश में भी मनरेगा व मध्याह्न भोजन सहित सामाजिक सुरक्षा की कई योजनाएं शुरू हुई हैं. जागरूकता अा रही है तथा बदलाव दिख रहे हैं. पर इन योजनाअों को पूरी तरह प्रभावी होने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाअों में आधार जरूरी नहीं, बल्कि ऐच्छिक किया जाये.
मनरेगा में विलंब से भुगतान का मुआवजा व बेरोजगारी भत्ता सुनिश्चित होना चाहिए. मनरेगा कानून के तहत ऐसे मामले में अफसरों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान लागू रखा जाये, तो लाभ मिलेगा. मनरेगा में काम तो हुआ है. बेहतर कुएं बन रहे हैं, पर चोरी भी नहीं रुक रही. मजदूर गरीबी, अशिक्षा तथा संगठित न रह पाने के कारण अपने अधिकार के लिए कानून व कोर्ट का सहारा नहीं लेते. मनरेगा लागू होने के बाद गत 10 वर्षों के दौरान कोई मजदूर कोर्ट नहीं गया. बिहार के अररिया व भागलपुर में मजदूरों का संगठन खड़ा होने के कारण वहां मनरेगा की स्थिति अच्छी है.
एक सवाल के जवाब में ज्यां ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को लागू करने, कार्यशैली तथा हालात के मामले में बिहार, झारखंड व यूपी एक जैसे हैं. सुधार हो रहा है, पर स्थिति अच्छी होने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि जनहित के मुद्दों पर प्रभात खबर की सच्चाई व साहस का सफर अागे बढ़ता रहे.

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