मंत्री श्री सिंह ने 2013-14 में मिल्क बूथ निर्माण में गड़बड़ी की सूचना मिलने के बाद जांच करायी थी. जांच रिपोर्ट में सरकारी नियमों के विरुद्ध धनबाद में अधिक मिल्क बूथ बनाये जाने की पुष्टि हुई थी. तब राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार की थी. कांग्रेस के मन्नान मल्लिक पशुपालन विभाग के मंत्री थे. जांच टीम ने लिखा है कि अधिकारियों ने मनमाने ढंग से योजना के स्वरूप को बदल दिया.
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मामला गव्य विभाग में मिल्क बूथ निर्माण में गड़बड़ी का: मंत्री ने एक हफ्ते में मांगी थी संचिका, दो माह में भी नहीं मिली
रांची: वित्तीय वर्ष 2013-14 में मिल्क बूथ निर्माण मामले में गड़बड़ी की पुष्टि जांच में हुई है. जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद विभागीय मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने विभागीय सचिव से 16 फरवरी 2017 को संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण पूछते हुए एक सप्ताह में संचिका मांगी थी. करीब दो माह पूरा […]
रांची: वित्तीय वर्ष 2013-14 में मिल्क बूथ निर्माण मामले में गड़बड़ी की पुष्टि जांच में हुई है. जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद विभागीय मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने विभागीय सचिव से 16 फरवरी 2017 को संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण पूछते हुए एक सप्ताह में संचिका मांगी थी. करीब दो माह पूरा होने वाला है, लेकिन अभी तक संचिका मंत्री को नहीं दी गयी है.
क्या है मामला
2013-14 में राज्य सरकार ने 50 पोर्टेबल मिल्क बूथ बनाने का निर्णय लिया था. इसके तहत रांची, बोकारो, जमशेदपुर में 10-10 तथा धनबाद, देवघर, रामगढ़ और कोडरमा में पांच-पांच मिल्क बूथ का निर्माण होना था. इसके लिए कुल 2.40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इसके विरुद्ध 1.66 करोड़ रुपये की निकासी कोषागार से कर ली गयी थी. उस वित्तीय वर्ष में 70.61 लाख रुपये खर्च नहीं हुए. इसे गव्य विकास निदेशालय के चालू खाता में रख लिया गया. जांच टीम ने पैसे को चालू खाता में रखे जाने को वित्त विभाग के आदेश का उल्लंघन माना है. पैसा खर्च नहीं होने पर अगले वित्तीय वर्ष में पूर्व में तय लक्ष्य में बदलाव की कार्रवाई की गयी. पूर्व में स्वीकृत जिलावार मिल्क बूथों की संख्या अन्य जिलों से घटाकर धनबाद में 20 कर दी गयी. बोकारो, देवघर व रामगढ़ से पांच-पांच इकाई वापस लेकर धनबाद को दे दी गयी.
देवघर की हुई अनदेखी
जांच टीम ने लिखा है कि राज्यादेश निर्गत होने के 13 माह के बाद गव्य विकास विभाग के सहायक निदेशक ने दूरभाष पर जिला गव्य विकास पदाधिकारियों को शुद्धि पत्र जारी करने को कहा. इस पर जांच टीम ने संदेह व्यक्त किया है. जांच टीम ने देवघर का कोटा काट कर धनबाद को दिये जाने पर सवाल उठाया है. कहा है कि देवघर किसी भी स्थिति में दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों के वितरण और बिक्री की दृष्टि से धनबाद से कम नहीं है.
पूर्व निदेशक से स्पष्टीकरण पूछने की अनुशंसा
जांच टीम की रिपोर्ट के बाद विभागीय संयुक्त सचिव दिगेश्वर तिवारी ने पूरे मामले में विभाग के पूर्व निदेशक डॉ आलोक कुमार पांडेय व सहायक निदेशक (योजना प्रभारी) मुकुल सिंह से भी स्पष्टीकरण पूछने की अनुशंसा की है. स्पष्टीकरण पूछ कर आगे की कार्रवाई करने की अनुशंसा भी की गयी है.
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