लाइफ रिपोर्टर @ रांची
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) रांची के छठवें दीक्षांत समारोह में टाटा स्टील (इंडिया और साउथ इस्ट एशिया) के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों और विपरीत परिस्थितियों के बीच भारत तेजी से बदल रहा है. आइआइएम के ग्रेजुएट्स योजनाबद्ध तरीके से अपना मुकाम हासिल करें. किसी को पता नहीं है कि जिस कंपनी में आज के पास आउट ज्वाइन करेंगे, वह अगले 15-20 वर्षों में अस्तित्व में रहेगी अथवा नहीं. इसलिए सभी परिस्थितियों में अपने आप को ढालना जरूरी है, ताकि बदलाव भी प्रबंधन विशेषज्ञों पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल सके. श्री नरेंद्रन सोमवार को डॉ रामदयाल मुंडा कला भवन प्रेक्षागृह में आयोजित दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे़ इस दौरान 198 पास आउट विद्यार्थियों को पीजी डिप्लोमा प्रदान किया गया.
हर वर्ष दो करोड़ नौकरियों की जरूरत
श्री नरेंद्रन ने कहा कि 80 के दशक में भारत का ग्लोबल इमेज नकारात्मक जैसा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री राहुल गांधी के दौर में आइटी युग की शुरुआत हुई. 90 के दशक में कुछ भारतीय सुंदरियों ने मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. तब दुनिया के देशों को लगा कि भारत भी निवेश का बेहतर स्थान हो सकता है.
कई देशों की मानसिकता भारत के प्रति बदली. आइटी सेक्टर उदारीकरण के बाद खुला. कई चीजें बदलीं. बाजार में भी विदेशी कंपनियां भारतीय टैलेंट को लेने आगे आयीं. पहले यह दूर की कौड़ी जैसी थी. उन्होंने कहा कि आज भी देश में 50 लाख लोग हर वर्ष शहरों की तरफ पलायन करते हैं. हर वर्ष 1.80 करोड़ से दो करोड़ रोजगार के अवसर यहां के युवाओं के लिए चाहिए. चुनौतियां काफी अधिक हैं. इन चुनौतियों के बीच सिर्फ नौकरी पाना ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए. नौकरी देकर सामाजिक विषमताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए़
आम आदमी की जरूरत को पूरा करें
श्री नरेंद्रन ने कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि सिर्फ पैसा कमाना लक्ष्य नहीं होना चाहिए, बल्कि आम आदमी की जरूरत को पूरा करना लक्ष्य होना चाहिए. प्रबंधन ग्रेजुएट को चाहिए कि वह निरंतर अपने अनुभवों से सीखे़ निराशा से लड़ने की क्षमता करे. अपनी क्षमता को निरंतर अपग्रेड करना चाहिए. उन्होंने संस्थान के पीजीडीएम, पीजीडीएचआरएम और पीजीडीइएक्स प्रोग्राम के गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज मेडल जीतनेवाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया.
चौराहे पर है विश्व की अर्थव्यवस्था : राजीव कौल
आइआइएम रांची के निदेशक मंडल के अध्यक्ष राजीव कौल ने कहा कि विश्व की अर्थव्यवस्था चौराहे पर है. भारत 2020 में तीन खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन जायेगा. वर्तमान में देश भर के लोग नोटबंदी की योजना से गुजरे हैं. नयी चीजें, नया कानून बन रहा है. तेजी से बदलाव हो रहे हैं. ऐसे में कड़ी मेहनत, टीम भावना, प्रदर्शनों को रीवार्ड करने, किसी भी व्यक्ति को कम आंकने की गलती नहीं करने, समाज को अपना योगदान देने, बदलते भारत को भविष्य का भारत बनाने की दिशा में काम करना होगा. उन्होंने कहा कि भारत आठ प्रतिशत की दर से विकास लक्ष्य को प्राप्त कर रहा है. विश्व बाजार की वास्तविकताएं काफी चुनौतियों से भरी हैं. इसे पार पाना एक कंटीले रास्ते की तरह है.
198 स्टूडेंट्स को मिला डिप्लोमा
आइआइएम रांची के निदेशक प्रो शैलेंद्र सिंह ने कहा कि 2015-17 सत्र के लिए 198 स्टूडेंट्स को पीजी डिप्लोमा दिये गये. इसमें मैनेजमेंट में 118, ह्यूमन रीसोर्स मैनेजमेंट में 47 और एग्जीक्यूटिव पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट 33 स्टूडेंट्स को दिया गया. उन्होंने कहा कि 2020 में संस्थान की गतिविधियां नये परिसर में शुरू हो जायेंगी. राज्य सरकार की तरफ से 60 एकड़ जमीन अप्रैल 2016 में उपलब्ध करायी गयी है. इसकी बाउंड्री का काम पूरा कर लिया गया है.
गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज पानेवाले स्टूडेंट्स
पीजीडीएम (2015-17)
गोल्ड मेडल और सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट : सुशोवन मैती
सिल्वर मेडल : गौरी शंकर साहू
ब्रांज मेडल : अभय नवजीत सिंह नरूला
बुक प्राइज (चौथा स्थान) : सुदीप रंजन साहू
बुक प्राइज (पांचवां स्थान) : सयन दत्ता
पीजीडीएचआरएम (2015-17)
गोल्ड मेडल : चांदनी अग्रवाल
सिल्वर मेडल: निहारिका
ब्रांज मेडल : के शेनिगा
बुक प्राइज (चौथा स्थान): भारत कुमार लुधियानी
बुक प्राइज (पांचवां स्थान): मोनिका जायसवाल
एग्जिक्यूटिव पीजी डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (14-16)
गोल्ड मेडल : आइएएस नितिन मदन कुलकर्णी, ऊर्जा सचिव
सिल्वर मेडल : ज्योति शंकर दत्ता
ब्रांज मेडल: सौम्या चौधरी
बुक प्राइज (चौथा स्थान): सुप्रीत रंजन
बुक प्राइज (पांचवां स्थान): मनोज कुमार
टीवी नरेंद्रन ने बताये चार गुण
सिर्फ पढ़ाई ही काफी नहीं, अनुभवों से बार-बार नयी चीज सीखें
निराशा की भावना से लड़ने की क्षमता विकसित करें
नौकरी के दौरान हजारों लोगों से सामना होगा, उनसे निबटने की कला जरूरी
अपने टैलेंट काे बार-बार अपग्रेड करें
कौल ने बताये सफलता के 11 गुण
क्लीयर विजन
नीचे के कर्मियों तक अपनी बात पहुंचाएं,
कर्मियों को सशक्त बनायें
वैल्यू को पहली प्राथमिकता दें
कड़ी मेहनत करें
टीम भावना से काम करें
उत्कृष्ट प्रदर्शन को हमेशा याद करें
किसी को कम नहीं आंके
समाज में अपना योगदान तय करें
भविष्य का भारत बनायें
एसी कमरे से बाहर निकल कर भी दुनिया देखें