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अॉड्रे हाउस में हुआ नाटक का मंचन, जब विरोध दबता है तो होता है विस्फोट

रांची: नाटक का पहला मंत्र, जो उसे नाटक बनाता है, उसका समाज-बोध तथा मंचन है. यह बात अलग है कि आज कविता, कहानी और उपन्यास का भी मंचन समान रूप से हो रहा है, परंतु नाटक के लेखन में तो मंचन की शर्त ही सबसे पहली होती है. अपनी मंचीय शक्ति के कारण नाटक अपने […]

रांची: नाटक का पहला मंत्र, जो उसे नाटक बनाता है, उसका समाज-बोध तथा मंचन है. यह बात अलग है कि आज कविता, कहानी और उपन्यास का भी मंचन समान रूप से हो रहा है, परंतु नाटक के लेखन में तो मंचन की शर्त ही सबसे पहली होती है. अपनी मंचीय शक्ति के कारण नाटक अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह अधिक गंभीरता के साथ कर पाता है.

‘कोर्ट मार्शल’ एक ऐसी नाट्य-रचना है जिसमें कोर्ट मार्शल जैसी सैन्य न्याय-व्यवस्था का सच उजागर हुआ है. भारतीय समाज का कोढ़ कहलाने वाली जाति और वर्ण-व्यवस्था के अमानवीय चेहरे को बेनकाब करनेवाले इस नाटक का संदेश है कि जब छोटे-छोटे विरोध लगातार दबा दिये जायें, अनसुने-अनदेखे कर दिये जायें तो हमेशा एक भयंकर विस्फोट होता है. युवा नाट्य संगीत अकादमी द्वारा आड्रे हाउस में चल रहे छोटानागपुर नाट्य महोत्सव में शुक्रवार को सेंटर फोर परफॉर्मिंग आर्ट, सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के द्वारा कोर्ट मार्शल नाटक का मंचन किया गया.

यथार्थ को निकट से देखने की चेष्टा : सीयूजी के सहायक प्राध्यापक शाकिर तसनीम के निर्देशन में मंचित इस नाटक के पात्र सेना के जवान रामचंद्र जवान (नीतीश कुमार) को यह कहा जाना कि तुम्हारी मां जरूर किसी कपूर या वर्मा के साथ सोई होगी, तभी तुम पैदा हुए होगे. यह स्पष्ट कर देता है कि सेना जैसे संगठन में भी जाति-पाति हावी है. वहां भी सीनियर जूनियर का भरपूर शोषण करते हैं. पर जिस तन्मयता से बचाव पक्ष का वकील विकास राय (शाकिर तसनीम) अपना पक्ष रखते हैं और सच्चाई को सामने लाते हैं, वह हुनर को हथियार के रूप में दिखाने के लिए पर्याप्त है. यही वजह है कि शोषण करने में शामिल सेना के अधिकारी बीडी कपूर (विपुल कुमार) की भरी अदालत में थू-थू होने लगती है, तो वह खुद को गोली मार लेता है. जानकार बताते हैं कि यथार्थ को निकट से देखने की चेष्टा ने ‘कोर्ट मार्शल’ को 20वीं सदी के यादगार नाटकों में शामिल कर दिया है.
जेनरेशन गैप की
कहानी संक्रमणनाट्य महोत्सव में मुंबई से आयी मंडली ने संक्रमण नाम से जेनरेशन गैप को बताती कहानी संक्रमण नाटक का मंचन किया. मशहूर साहित्यकार कामता नाथ प्रसाद की लिखी इस नाटक का निर्देशन मनोहर लाल तेली ने किया. नाटक की कहानी बाप-बेटे के बीच की है. बाप मुश्किलों में जीवन व्यतीत कर बेटे को लायक बनाता है, पर मोबाइल जेनरेशन का बेटा उसे इग्नोर करने लगता है. बाप चाहता है कि बेटा उसके बुढ़ापे की लाठी बने, पर वह दायित्वों से भागता है. इसी दु:ख में पिता की मौत हो जाती है. जैसे ही 70 साल के पिता की मौत होती है, 40 साल का बेटा बाप की भूमिका में आ जाता है. फिर वह वही सब करने लग जाता है, जो उसके पिता उससे चाहते थे. दो जेनरेशन के बीच में फंसी बेटे की मां इस संक्रमण काल का गवाह होती है. वर्तमान सामाजिक दृश्यों को मंचित करती इस नाटक की जितनी तारीफ की जाये, कम है.

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