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पुलिस को मिलेगी अपराधियों के बारे में ऑनलाइन जानकारी

31 मार्च तक सभी थानों में खत्म होगा सीसीटीएनएस का काम रांची : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की योजना क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) का काम राज्य के सभी थानों में 31 मार्च तक पूरा कर लिया जायेगा. सभी थानों में अब तक दर्ज आपराधिक मामलों और उसमें शामिल अपराधियों का ब्योरा दर्ज करने […]

31 मार्च तक सभी थानों में खत्म होगा सीसीटीएनएस का काम
रांची : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की योजना क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) का काम राज्य के सभी थानों में 31 मार्च तक पूरा कर लिया जायेगा. सभी थानों में अब तक दर्ज आपराधिक मामलों और उसमें शामिल अपराधियों का ब्योरा दर्ज करने का काम पूरा कर लिया गया है. इसके बाद इसे ऑनलाइन करने का काम पूरा किया जायेगा.
ताकि किसी भी थाने के पुलिस पदाधिकारी को दूसरे थाना क्षेत्र के अपराधियों के बारे में जानकारी मिल सके. एनसीआरबी की साइट पर उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक आठ नवंबर 2016 तक झारखंड पुलिस ने इस मद में उपलब्ध करायी गयी सभी राशि खर्च कर दी है.
जिन थानों में सीसीटीएनएस के तहत कंप्यूटर लगाये गये हैं, वहां हर दिन दर्ज होनेवाली प्राथमिकी और स्टेशन डायरी की इंट्री की जा रही है. 86.4 प्रतिशत थानों में पुराने डाटा को कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में दर्ज किया जा चुका है. आंकड़े में झारखंड पुलिस की उपलब्धि को 100 प्रतिशत बताया गया है. उपलब्धि के मामले में झारखंड पुलिस का स्थान देश भर में आठवें नंबर पर है. एनसीआरबी के मुताबिक राज्य के 429 थानों में लगे सीसीटीएनस के सॉफ्टवेयर को अपडेट कर दिया गया है. वर्ष 2013, 2014, 2015 व 2016 के 158471 प्राथमिकी को सॉफ्टवेयर में डाला जा चुका है. कुल 3.47 लाख पुराने मामलों को कंप्यूटर में दर्ज करने के बाद उसके वेरिफिकेशन का काम पूरा कर लिया गया है. इसके साथ ही राज्य पुलिस ने एनसीआरबी को बताया है कि सभी 429 थानों में नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध करा दी गयी है.
नौकरी के लिए भटक रहा शहीद पुलिस अफसर का पुत्र
रांची : नक्सली घटना में शहीद पुलिस अफसर राजबलि चौधरी का पुत्र राहुल कुमार अनुकंपा पर नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है. उसे पुलिस मुख्यालय और सरकार के स्तर से मदद नहीं मिल रही है. पुलिस अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगा कर अब राहुल परेशान हो चुका है. इसलिए उसने नौकरी दिलाने के लिए शनिवार को झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह के पास गुहार लगायी है.
राहुल ने बताया कि उनके पिता राजबलि चौधरी पूर्व में गढ़वा जिला के भंडरिया में थाना प्रभारी के रूप में पदस्थापित थे. 21 जनवरी, 2012 को एक घटना की सूचना मिलने पर वह एंटी लैंड माइंस वाहन से निकले. उसी दौरान भंडरिया के ललमटिया के समीप नक्सलियों ने विस्फोट कर उनकी गाड़ी उड़ा दी थी. घटना में राजबलि चौधरी सहित 13 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे. राजबलि चौधरी के शव को नक्सलियों ने जला दिया था. राहुल कुमार ने बताया कि घटना के बाद उसे अनुकंपा पर नौकरी देने की घोषणा की गयी थी.
वर्ष 2015 और 2016 में गढ़वा डीसी ने दो बार उसे क्लर्क के पद पर नियुक्त करने की अनुशंसा पुलिस मुख्यालय के पास की, लेकिन राहुल को नौकरी नहीं मिली. जब राहुल पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के पास पहुंचा, तब उसे बताया गया कि उसका काम गढ़वा जिला से होगा. जब राहुल गढ़वा जाकर अधिकारियों से मिलता है, तब उसे कहा जाता है कि उसका काम पुलिस मुख्यालय से होगा. राहुल ने बताया कि इस तरह वह पुलिस अधिकारियों के पास नौकरी के लिए चक्कर लगा कर परेशान हो चुका है.
उसने बताया कि उनके पिता के शहीद होने के बाद उसके दादा की भी हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है.अब उसकी मां रोहतास में रह कर पेंशन के पैसे से गुजारा करती है, लेकिन राहुल रांची में रह कर ट्यूशन पढ़ा कर किसी तरह गुजारा कर रहा है.
जो पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, उनके बच्चे सड़क पर घूम रहे हैं. इससे पुलिसकर्मियों का मनोबल गिरेगा. पुलिस मुख्यालय के अधिकारी शहीद के आश्रितों को जल्द से जल्द से अनुकंपा पर नौकरी प्रदान करें.
योगेंद्र सिंह,अध्यक्ष, झारखंड पुलिस एसोसिएशन

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