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झारखंड : 25 साल में एक भी नामांकन नहीं, शिक्षकों को बैठा कर दे दिये वेतन के पांच करोड़ रुपये

सुनील कुमार झा रांची : झारखंड में बिना विद्यार्थी के ही वोकेशनल कोर्स चल रहा है. राज्य के 57 प्लस टू हाइस्कूल में 25 ट्रेड में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई होती है. इनमें कई ट्रेड ऐसे हैं, जिनमें आज तक एक भी नामांकन नहीं हुआ. सरकार शिक्षकों को नियुक्ति काल से ही बैठा कर वेतन […]

सुनील कुमार झा
रांची : झारखंड में बिना विद्यार्थी के ही वोकेशनल कोर्स चल रहा है. राज्य के 57 प्लस टू हाइस्कूल में 25 ट्रेड में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई होती है. इनमें कई ट्रेड ऐसे हैं, जिनमें आज तक एक भी नामांकन नहीं हुआ. सरकार शिक्षकों को नियुक्ति काल से ही बैठा कर वेतन दे रही है. आश्चर्य की बात है कि सरकार ने 25 साल तक इसकी समीक्षा ही नहीं की.
बिना विद्यार्थी के ही शिक्षकों के वेतन पर करोड़ों रुपये खर्च कर डाले. रांची के तीन स्कूल शिवनारायण कन्या बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय, जिला स्कूल और राजकीय बालिका उच्च विद्यालय बरियातू में क्रमश: माइनिंग व ऑटोमोबाइल, मुर्गी पालन व एग्रीकल्चर में वर्षों से किसी भी विद्यार्थी ने नामांकन नहीं लिया. पर तीनों स्कूलों में इन ट्रेड के लिए कुल सात शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. सरकार इन शिक्षकों को 25 वर्ष में पांच करोड़ से अधिक वेतन दे चुकी है. राज्य के अधिकतर स्कूलों में वोकेशनल कोर्स में विद्यार्थियों के नामांकन की कमोबेश यही स्थिति है. इनमें से कुछ शिक्षक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत हाइस्कूल में कक्षा लेते हैं. जबकि ये हाइस्कूल में कक्षा लेने के योग्य नहीं हैं.
राज्य से बाहर प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं
स्कूलों में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई इंटरमीडिएट स्तर पर होती है. मैट्रिक पास विद्यार्थियों का नामांकन लिया जाता है. विद्यालय में वोकेशनल की पढ़ाई तो शुरू की गयी, पर किसी में भी प्रयोगशाला नहीं है. बिना प्रयोगशाला के ही प्रयोगशाला सहायक नियुक्त कर दिया गया. राज्य में इंटर स्तर पर होनेवाले वोकशनल कोर्स की पढ़ाई को बाहर मान्यता भी नहीं मिलती. संबंधित संस्थान से राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं होने के कारण इसके प्रमाण पत्र राज्य से बाहर मान्य नहीं हैं. कुछ ट्रेड में सिर्फ दिखाने के लिए शिक्षक दो -चार बच्चों का नामांकन कर लेते हैं. कुछ नामांकन फरजी होते हैं. न तो कभी कक्षा होती है न विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होते हैं.
सीट 5,130, नामांकन 1000 तक
एकीकृत बिहार के समय 1993 में 148 स्कूलों में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई शुरू की गयी थी. राज्य गठन के बाद 57 विद्यालय झारखंड में आ गये. एक विद्यालय में तीन ट्रेड की पढ़ाई होती है. प्रति ट्रेड एक विद्यालय में 30 विद्यार्थी का नामांकन लेना है. 57 विद्यालय में कुल 5,130 बच्चों का नामांकन होना है. पर विद्यालयों में प्रति वर्ष औसतन एक हजार से 1400 बच्चों का नामांकन होता है.
एक विद्यार्थी पर सालाना 70 हजार खर्च
राज्य में वोकेशनल कोर्स में 71 अनुदेशक व 82 प्रयोगशाला सहायक हैं. एक का वेतन लगभग 50 हजार रुपये प्रति माह है. ऐसे में इनके वेतन पर सरकार प्रति वर्ष लगभग 10 करोड़ खर्च करती है. 2015 में 1300 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. इस प्रकार देखा जाये, तो सरकार एक विद्यार्थी पर सालाना 70 हजार खर्च कर रही है.
रांची के स्कूलों का हाल
रांची के शिवनारायण कन्या बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय में माइनिंग व ऑटोमोबाइल ट्रेड में एक भी छात्रा का नामांकन नहीं हुआ है. विद्यालय में जब से माइनिंग की पढ़ाई शुरू हुई, तब से आज तक एक भी विद्यार्थी का नामांकन नहीं हुआ. सरकार 25 साल से इस विषय के तीन अनुदेशक व प्रयोगशाला सहायक को वेतन दे रही है. यह स्कूल छात्राओं का है. लड़कियां माइनिंग व ऑटोमोबाइल में नामांकन नहीं लेती है. इसके बाद भी यहां शिक्षकों की नियुक्ति की गयी.
रांची जिला स्कूल में मुर्गी पालन में बच्चों का नामांकन नहीं होता. 1993 के बाद से आज तक मात्र दो वर्ष मुर्गी पालन में 10 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ.
राजकीय बालिका उवि बरियातू में एग्रीकल्चर ट्रेड में नामांकन नहीं होता. इसके बाद भी वर्षों से शिक्षक हैं

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