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बिना शिक्षक बच्चों को अंगरेजी पढ़ा रही सरकार

राज्य के 90 फीसदी मध्य विद्यालयों में भाषा में केवल हिंदी के शिक्षक सुनील कुमार झा रांची : राज्य के 90 फीसदी से अधिक मध्य विद्यालय में भाषा में अंगरेजी के शिक्षक नहीं हैं. प्राथमिक विद्यालय में तो अलग से अंगरेजी शिक्षक रखने का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में झारखंड के सरकारी स्कूलों में […]

राज्य के 90 फीसदी मध्य विद्यालयों में भाषा में केवल हिंदी के शिक्षक
सुनील कुमार झा
रांची : राज्य के 90 फीसदी से अधिक मध्य विद्यालय में भाषा में अंगरेजी के शिक्षक नहीं हैं. प्राथमिक विद्यालय में तो अलग से अंगरेजी शिक्षक रखने का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अंगरेजी में काफी कमजोर हैं. एक ओर स्कूलों में अंगरेजी के शिक्षक नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर कक्षा एक से अंगरेजी की पढ़ाई होती है. राज्य में 18,214 मध्य विद्यालय हैं. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप प्रत्येक मध्य विद्यालय में तीन स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक का होना अनिवार्य है. इसमें विज्ञान, कला व भाषा के एक-एक शिक्षक की नियुक्ति का प्रावधान है.
राज्य में 18,214 मध्य विद्यालय में से 10,288 मध्य विद्यालय प्राथमिक से मध्य विद्यालय में अपग्रेड किये गये हैं. इन विद्यालयों में अब तक स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के पद ही स्वीकृत नहीं किये गये हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में अंगरेजी पढ़ाने के लिए स्नातक प्रशिक्षित भाषा के शिक्षक नियुक्त ही नहीं हुए हैं. 7,296 मध्य विद्यालयों में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. इनमें से 3,963 पदों पर नियुक्ति की गयी है, जबकि इतने ही पद उच्च योग्यताधारी शिक्षकों को प्रोन्नति देकर भरा जा रहा है. भाषा में जितने शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, उनमें से 90 फीसदी से शिक्षक हिंदी, उर्दू व संस्कृत से स्नातक हैं. अंगरेजी से स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक काफी कम हैं. ऐसे में विद्यालयों में अंगरेजी पढ़ाने के लिए विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं है. सरकार बिना शिक्षक बच्चों को अंगरेजी पढ़ा रही है.
किताब का स्तर सीबीएसइ स्कूल के बराबर
एक ओर सरकारी स्कूलों में अंगरेजी पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है. वहीं दूसरी अाेर अंगरेजी का पाठ्यक्रम सीबीएसइ स्कूल के बराबर है. बच्चों को अंगरेजी की किताब का नाम तक पता नहीं है. बच्चे अपने किताब का नाम भी नहीं पढ़ पाते. कक्षा दो में एक ओर बच्चों को अंगरेजी का अक्षर बताया जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ अध्याय के बाद स्टोरी पढ़ायी जा रही है. बच्चे किताब का पहला चैप्टर भी पढ़ना नहीं जानते हैं. कई बच्चों की किताब देखने से ऐसा लगता कि उसने पूरे साल बीतने के बाद भी ठीक से किताब पलटा भी नहीं है. किताब में दिये गये पाठ्य अभ्यास में भी बच्चों ने कुछ नहीं किया.
मैट्रिक में 1.55 लाख विद्यार्थी हो जाते हैं फेल
राज्य में मैट्रिक में अंगरेजी में पास होना अनिवार्य नहीं हैं. अंगरेजी में फेल होने पर भी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास कर सकता है. राज्य में प्रारंभिक कक्षा से लेकर माध्यमिक स्तर से अंगरेजी की पढ़ाई की हालत खस्ता हाल है. राज्य में मैट्रिक परीक्षा में शामिल होने वाले औसतन 1़ 55 लाख परीक्षार्थी प्रति वर्ष अंगरेजी में फेल कर जाते हैं. वर्ष 2106 की मैट्रिक परीक्षा में 4,70,280 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. जिसमें से मात्र 7,512 परीक्षार्थी को अंगरेजी में ए प्लस ग्रेड मिला था.
कक्षा आठ के 40 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं शब्द
असर 2016 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले 40 फीसदी बच्चे ही अपनी कक्षा के अंगरेजी के शब्द नहीं पढ़ पाते हैं. उन्हें उसका अर्थ भी पता नहीं होता, जबकि 45 फीसदी बच्चे वाक्य नहीं पढ़ पाते हैं. कक्षा छह के मात्र 23 फीसदी व कक्षा सात के 25 बच्चों को अंगरेजी के छोटे अक्षर का ज्ञान है. कक्षा आठ के बाद बच्चे उच्च विद्यालय में नामांकित होते हैं. दो वर्ष बाद वे मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होते हैं. स्कूलों में अंगरेजी की पढ़ाई की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण बच्चे धीर-धीरे अंगरेजी में कमजोर होते चले जाते हैं. इसके बाद मैट्रिक में अंगरेजी में पास होना अनिवार्य नहीं होने के कारण वे वहां भी इस पर पूरा ध्यान नहीं देते. इस कारण राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अंगरेजी में पिछड़ रहे हैं.
अंगरेजी पढ़ाने के लिए विभाग ने मांगे शिक्षकों के नाम
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग प्राथमिक व मध्य विद्यालय में बच्चों को अंगरेजी पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करेगी. विभाग ने इसके लिए सभी विद्यालय से वैसे शिक्षकों के नाम मांगे हैं, जो अंगरेजी पढ़ाने के इच्छुक है. वैसे शिक्षकों को सरकार स्तर से अंगरेजी पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा. प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों को विद्यालयों में स्थानांतरित करने की तैयारी है. एक विद्यालय से एक से अधिक शिक्षक भी नाम दे सकते हैं. शैक्षणिक सत्र 2017-18 शुरू होने के पूर्व प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी चल रही है.

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