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भ्रष्टाचार के आरोपी अमेरिकन रविदास को आइएएस बनाने की अनुशंसा
रांची : भ्रष्टाचार के आरोपी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अमेरिकन रविदास को आइएएस में नियुक्त करने की अनुशंसा की जा रही है. राज्य सरकार आरक्षित कोटे के दावेदार के रूप में उनके नाम की अनुशंसा कर रही है. हालांकि वह भ्रष्टाचार के आरोप में सरकार द्वारा की गयी दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ शुरू हुई […]
रांची : भ्रष्टाचार के आरोपी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अमेरिकन रविदास को आइएएस में नियुक्त करने की अनुशंसा की जा रही है. राज्य सरकार आरक्षित कोटे के दावेदार के रूप में उनके नाम की अनुशंसा कर रही है. हालांकि वह भ्रष्टाचार के आरोप में सरकार द्वारा की गयी दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ शुरू हुई कानूनी लड़ाई में हार चुके हैं और जालसाजी के आरोप में मुकदमा का सामना कर रहे हैं.
वर्ष 2014-15 और 2015-16 में राज्य प्रशासनिक सेवा के योग्य एवं कर्मठ अधिकारियों से भरे जानेवाले आइएएस के 11 पद रिक्त हैं. इन रिक्त पदों के आलोक में योग्य अधिकारियों को नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार की ओर से हर पद के लिए कम से कम दो-दो अधिकारियों का नाम भेजा जाना है.
राज्य की ओर से तैयार सूची में चर्चित अधिकारी अमेरिकन रविदास का नाम भी शामिल है. आरक्षित कोटे की वरीयता सूची में सबसे ऊपर होने की वजह से उनका नाम भी लोक सेवा आयोग को भेजा जा रहा है. सरकार उनके नाम के साथ उन पर लगे गंभीर आरोपों और दंडात्मक कार्रवाई की रिपोर्ट भी आयोग को भेज रही है. आयोग को इस मामले में अंतिम निर्णय करना है कि अमेरिकन रविदास आइएएस के योग्य हैं या नहीं.
तालाब खोदे बिना ही पैसे निकाले थे : अमेरिकन रविदास ने सिमडेगा में बीडीओ के रूप में पदस्थापित रहने के दौरान तालाब खोदे बिना ही पैसों की निकासी कर ली थी. सरकार ने 85,300 रुपये की दर से 12 तालाब खोदने के लिए 10,23,600 रुपये दिये थे. अपर समाहर्ता द्वारा की गयी जांच में बिना तालाब खोदे ही पैसों की निकासी का मामला प्रमाणित हुआ था.
विभागीय कार्यवाही में दोषी पाये जाने के बाद सरकार ने उनकी प्रोन्नति रोकने का दंड दिया था. इस कार्रवाई के खिलाफ और आइएएस बनने के लिए इंटिग्रिटी सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए उन्होंने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. इंटिग्रिटी हासिल करने के लिए दायर याचिका में उनकी ओर से यह कहा गया था उनका नाम 2010 के ग्रेडेशन लिस्ट में 80वें नंबर पर है, पर आइएएस बनने के योग्य हैं. लेकिन उन्हें इंटिग्रिटी सर्टिफिकेट नहीं दिया जा रहा है. इसलिए अदालत इंटिग्रिटी सर्टिफिकेट देने का निर्देश दे. सुनवाई के बाद अदालत ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद उन्होंने सरकार द्वारा प्रोन्नति रोकने के दंड को हाइकोर्ट में चुनौती दी. इसमें उनकी ओर से कहा गया कि तालाब के लिए मिले रुपये को इंदिरा आवास मद में विचलित कर दिया गया था.
नाजिर बीजू बड़ाइक रजिस्टर और आवश्यक कागजात लेकर फरार है. नाजिर के खिलाफ उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसलिए वे दोषी नहीं हैं. इस मामले में सरकार की ओर से कहा गया कि तालाब खोदे बिना पैसा निकालने के मामले में जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. सरकार ने विचार के बाद अभियोजन स्वीकृति दी है. वह अभी जालसाजी के इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं. सुनवाई के बाद 10 जनवरी 2017 को हाइकोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया.
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