गांव के पुरेंद्र मुंडा ने बताया कि फिलहाल टीन के डब्बों, बरतन आदि को पीट कर तथा दीवाली के बचे पटाखे जला कर हाथियों को भगाने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन कुछ दूर जाकर हाथी दुबारा वापस आ जाते हैं.
हाथियों के झुंड में कुछ बच्चे भी हैं. जिस कारण हाथी ग्रामीणों पर कई बार हमले का प्रयास भी कर चुके हैं. लाली के कुदागढ़ा, सेरेंगटोली, गरूड़पीड़ी, हेसो, फतेहपुर, बारेडंडा व टुंंगरीटोली के लोग हाथियों को भगाने में लगे हैं तथा मशाल आदि बना कर रतजगा करने की रणनीति बना रहे हैंं. हाथियों ने गांव के विभीषण मुंडा, सुखराम मुंडा, नारायण मुंडा, सांबो मुंडा, महादेव मुंडा, चुन्नीलाल मुंडा, लखीनदास मुंडा, सुभाष मुंडा, पुरेंद्र मुंडा, गोपाल, एतवा, रामजीवन, सनिका, गोविंदा मुंडा आदि ग्रामीणों के खेत में लगी फसल को नष्ट कर दिया. भुक्तभोगी ग्रामीणों ने प्रशासन से क्षतिपूर्ति व हाथियों को भगाने की मांग की है.